न्यूज डेस्क
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ चल रहे आंदोलन के वजह कुछ दिनों पहले पीएम नरेंद्र मोदी को असम में जापानी पीएम शिंजो आबे के साथ शिखर सम्मेलन को रद्द करना पड़ा था, लेकिन केंद्र सरकार के एक अन्य फैसले ने तस्वीर पूरी तरह बदल दी है।
दरअसल, भारत सरकार और बोडो समुदाय के बीच हुए समझौते के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज पहली बार कोकराझार पहुंचे। यहां स्थानीय परंपरा के मुताबिक प्रधानमंत्री का स्वागत किया गया और समझौते के लिए धन्यवाद प्रस्ताव दिया गया। यहां सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस जगह से मेरा पुराना रिश्ता, लेकिन आज जो उत्साह देखने को मिला है वैसा कभी नहीं मिला।
कोकराझार की सभा में पीएम ने कहा कि ये इतिहास की सबसे ऐतिहासिक रैली होगी। कभी-कभी लोग डंडा मारने की बात करते हैं लेकिन मुझे करोड़ों माताओं-बहनों का कवच मिला हुआ है। बोडो समझौते पर प्रधानमंत्री बोले कि आज का दिन स्थानीय लोगों के जश्न का है, क्योंकि समझौते से स्थाई शांति का रास्ता निकला है।
बता दें कि पीएम मोदी का असम दौरा इस लिए भी खास है क्योंकि बीते दिसंबर माह में जब सदन में गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिकता संसोधन कानून बिल पेश किया तो सबसे पहले विरोध का स्वर असम से उठा था। असम में इसके विरोध में बड़े स्तर पर प्रदर्शन हुआ था। विरोध का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि सरकार ने वहां कुछ दिनों के लिए इंटरनेट बंद कर दिया था। प्रदर्शनों में तीन व्यक्ति मारे गए थे।
इन विरोध-प्रदर्शनों के कारण ही बीते दिसंबर में प्रधानमंत्री मोदी और जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे की गुवाहाटी में होने वाली मुलाकात को रद्द कर दिया गया था। इतना ही नहीं पीएम मोदी गुवाहाटी में आयोजित हुए खेलो इंडिया- यूथ गेम्स के तीसरे संस्करण के उद्घाटन समारोह में भी नहीं आए। । प्रदर्शन शुरू होने के बाद से यह प्रधानमंत्री का पहला पूर्वोत्तर दौरा है।
मालूम हो कि कुछ दिनों पहले ही नई दिल्ली में अलगाववादी संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के सभी चार गुटों, ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (आब्सू) और केंद्र सरकार के बीच बोडो शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
असम के कई इलाकों में अब भी सीएए के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध हो रहा है। सीएए का लगातार विरोध कर रहे ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) के महासचिव लुरिन ज्योति गोगोई ने मोदी के असम दौरे पर कहा कि मोदी के असम दौरे का विरोध करने को लेकर आसू ने अभी तक किसी तरह का आधिकारिक निर्णय नहीं लिया है।
उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि बोडो शांति-समझौता हो और इस समस्या का राजनीतिक स्तर पर सम्मानजनक समाधान निकले। चूंकि अब बोडो समझौता हो गया है और पीएम मोदी उस कार्यक्रम में आ रहे हैं तो हम किसी तरह का विरोध करेंगे तो बोडो जनजाति के लोगों के मन में हमारे प्रति गलत भावना पैदा होगी।
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क्या है राजनीतिक मायने
नागरिकता संसोधन कानून के विरोध में गुवाहाटी के बाद ऊपरी असम के आठ जिलों में सबसे ज्यादा विरोध देखने को मिला है। असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल भी ऊपरी असम से ही आते है। यहां ये बीजेपी को पिछले विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें मिली थी, लेकिन सीएए के विरोध के कारण क्षेत्र में ऐसा माहौल हो गया कि विधायक, मंत्री व बीजेपी कार्यकर्ता जनता के बीच जाने से कतरा रहें थे।
बीजेपी के मंत्री, नेताओं को लोग काले झंडे दिखाकर लोग अपना विरोध जता रहें थे। ऊपरी असम के कई शहरों में अब भी लोगों ने अपने घर-दुकानों के बाहर और गाडिय़ों पर नागरिकता कानून के विरोध में स्टीकर चिपका रखा है।
ऐसे हालात में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दौरे के कई राजनीतिक मायने हैं। पहली बार प्रधानमंत्री मोदी बोडोलैंड के प्रशासनिक मुख्यालय कोकराझाड़ में रैली कर रहे हैं। मोदी की रैली जिस इलाके में हुई वह संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत आता है और जहां नागरिकता संशोधन कानून का कोई लेना-देना नही होगा।
जानकारों का कहना है कि प्रधानमंत्री की इस असम दौरे न केवल प्रदेश बीजेपी नेताओ की बेचैनी को कम करेगा बल्कि ऐसी उम्मीद है कि इससे जमीनी स्तर पर काम करने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा और वे एक बार फिर से लोगों के बीच जा सकेंगे, क्योंकि बीजेपी को अगले साल होने वाले असम विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में फिर से अपनी पकड़ मजबूत करनी है।
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चार जिलों में सार्वजनिक अवकाश की घोषणा
बता दें कि असम सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम को देखते हुए बोडोलैंड टेरिटोरियल एरिया वाले चारों जिलों में सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है।
असम पुलिस के एडीजीपी के मुताबिक पीएम के लिए चार स्तर पर सुरक्षा बंदोबस्त किए गए है। इस दौरान इलाके में किसी भी संगठन को रैली या सभा करने की कोई अनुमति नहीं दी गई है।
वहीं भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष विजय कुमार गुप्ता कहते है कि सीएए को लेकर हो रहे विरोध का कोई आधार नहीं है। कुछ लोगों ने आवेग में आकर विरोध की तख्ती हाथ में उठा ली थी, लेकिन अब सीएए से जनता पूरी तरह खुश है।
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