न्यूज डेस्क
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पांच जनवरी को संसद में राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट की घोषणा की। ट्रस्ट की घोषणा की टाइमिंग को लेकर सवाल उठ रहा है। विपक्षी दलों ने ट्रस्ट की घोषणा की टाइमिंग को लेकर सवाल उठाया है। उनका कहना था कि दिल्ली चुनाव से पहले केन्द्र सरकार द्वारा ट्रस्ट की घोषणा करना राजनीतिक दांव है।
कभी बीजेपी की सहयोगी रही शिवसेना ने भी राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट की घोषणा करने के समय को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा है। उसने कहा है कि इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी से राजनीति की उम्मीद नहीं थी।
गौरतलब है कि दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर आठ फरवरी को मतदान होना है। वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पांच जनवरी को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए 15 सदस्यीय ट्रस्ट के गठन की घोषणा लोकसभा में की।
गुरुवार को शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के एक संपादकीय में लिखा है, ‘मोदी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक चार दिन पहले ‘जय श्री राम” का नारा दिया। श्री राम की मदद से अगर दो-चार सीटें बढ़ गईं तो खुश होंगे।’ इसमें आगे कहा गया है, ‘उम्मीद थी कि राम मंदिर के मुद्दे पर राजनीति नहीं की जाएगी, लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इसकी ‘नींव’ रख दी गई है और 2024 लोकसभा चुनाव के मौके पर इसे पूरा किया जाएगा।’
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए 15 सदस्यीय ट्रस्ट के गठन की घोषणा बुधवार को लोकसभा में की थी। आज शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के एक संपादकीय में कहा, ‘(नरेंद्र) मोदी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक चार दिन पहले ‘जय श्री राम” का नारा दिया। श्री राम की मदद से अगर दो-चार सीटें बढ़ गईं तो खुश होंगे।’
इसमें आगे कहा गया है, ‘उम्मीद थी कि राम मंदिर के मुद्दे पर राजनीति नहीं की जाएगी, लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इसकी ‘नींव’ रख दी गई है और 2024 लोकसभा चुनाव के मौके पर इसे पूरा किया जाएगा।’
सामना में आगे लिखा है कि केन्द्र सरकार के इस फैसले की आलोचना हो रही है कि चुनाव से पहले आप नेता अरविंद केजरीवाल के भगवा पार्टी को बेचैन कर देने के कारण ही भाजपा ने भगवान राम का सहारा लिया। इसमें कहा गया है, ‘ऐसा (आलोचना) इसलिए है क्योंकि चुनाव से ठीक चार दिन पहले प्रधानमंत्री ने ट्रस्ट का गठन करने की घोषणा की है।’
शिवसेना ने कहा कि ट्रस्ट के बारे में प्रधानमंत्री की घोषणा के लिए उच्चतम न्यायालय को पहले धन्यवाद देना होगा क्योंकि शीर्ष अदालत ने ही पिछले साल नवम्बर में मंदिर के निर्माण का आदेश दिया था। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने कहा कि वह पहले दिन से ही मंदिर निर्माण के अभियान में सक्रिय थी।
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