न्यूज डेस्क
एनसीपी प्रमुख शरद पवार पर उद्धव ठाकरे सरकार ने बड़ी मेहरबानी की है। ठाकरे सरकार ने पवार के ट्रस्ट को दस करोड़ की जमीन कौडिय़ों में दे दी है।
पांच जनवरी को एनसीपी प्रमुख शरद पवार की अध्यक्षता वाले संस्थान वसंतदादा चीनी संस्थान को मामूली कीमत पर 51 हेक्टेयर सरकारी जमीन आवंटित की है। इस जमीन की बाजार कीमत 10 करोड़ रुपये है। यह जमीन मराठवाड़ा के जालना में है।
महाराष्ट्र सरकार ने पवार की अध्यक्षता वाले संस्थान को जमीन आवंटन “विशेष मामले” के रूप में नामित की है। इस क्रम में ठाकरे कैबिनेट ने राजस्व विभाग और वित्त विभाग की आपत्तियों और राज्य के महाधिवक्ता की राय को दरकिनार कर फैसला लिया है।
दरअसल 51.33 हेक्टेयर की जिस भूखंड का आवंटन वसंतदादा चीनी संस्थान को किया गया है वह जालना जिले के पठारवाला गांव में स्थित है। यह मूल रूप से राज्य के कृषि विभाग द्वारा बीज फार्म की स्थापना के लिए इसका अधिग्रहण किया गया था। आधिकारिक परिपत्रों के मुताबिक मूल्यांकनकर्ताओं ने इस जमीन की बीजीर कीमत 9.99 करोड़ रुपये आंकी है।
मालूम हो कि वर्ष 1975 में शुगर कॉपरेटिव की बड़ी हस्तियों ने एक पब्लिक ट्रस्ट गठित किया था। उसी ट्रस्ट के नाम पुणे स्थित वसंतदादा चीनी संस्थान भारत के प्रमुख चीनी अनुसंधान और शैक्षिक संस्थानों में गिना जाता है।
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वसंतदादा चीनी संस्थान के अध्यक्ष एनसीपी प्रमुख शरद पवार हैं, जबकि उनके भतीजे व राज्य के उप मुख्यमंत्री अजित पवार, उत्पाद मंत्री दिलीप वालसे पाटिल, वित्त मंत्री जयंत पाटिल (एनसीपी), राजस्व मंत्री बालासाहेब थोराट (कांग्रेस) इस संस्थान के ट्रस्टी हैं।
इन लोगों के अलावा दो अन्य मंत्री राजेश टोपे (एनसीपी) और सतेज पाटिल (कांग्रेस) इसके गवर्निंग काउंसिल में शामिल हैं। वसंतदादा चीनी संस्थान ने चीनी पर अनुसंधान करने और अन्य शैक्षणिक गतिविधियों के लिए सरकार से जमीन की मांग की थी।
एक आधिकारिक संचार में राजस्व विभाग ने तर्क दिया था कि रियायती आधार पर ऐसा आवंटन 1997 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार नहीं हो सकता है। विभाग ने कोर्ट के निर्देश के बावत कहा कि विशेष सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए सरकार द्वारा अधिग्रहित जमीन का उपयोग भी उसी उद्देश्य के लिए किया जाना चाहिए और अगर ऐसा नहीं हो सकता है तो उक्त भूमि का उपयोग या तो किसी अन्य सार्वजनिक उद्देश्य के लिए किया जाना चाहिए या मूल मालिकों को वापस कर दिया जाना चाहिए।
राज्य के वित्त विभाग ने भी सरकारी भूमि के आवंटन के बारे में प्रचलित नियमों का हवाला देते हुए रियायती आधार पर भूमि आवंटित करने के कदम पर सवाल उठाया और कहा कि बोली लगाने की प्रक्रिया का पालन करते हुए भूमि को बाजार मूल्य पर आवंटित किया जाना चाहिए लेकिन सरकार ने इन दोनों विभागों की आपत्तियों को दरकिनार कर संस्थान को जमीन आवंटित की है।
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