न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो चूका है। चंद घंटों के इंतज़ार के बाद दिल्ली के कुल 1,47,03,692 मतदाता ये फैसला करेंगे कि राज्य की सत्ता पर कौन काबिज होगा। हालांकि दिल्ली की सियासत में जुबानी जंग देश के कोने- कोने में फैली हुई है।
ऐसे में चुनाव से ठीक पहले हम आपको दिल्ली की जनता की मन की बात बताने जा रहे है। नब्ज को टटोला पर पता चला है कि जनता किसे बागडोर सौंपना चाहती है।
दिल्ली चुनाव में घटनाक्रमों और साम्प्रदायिक तौर पर ध्रुवीकरण करने की कोशिश के बावजूद मतदाताओं पर ज़्यादा असर पड़ता नहीं दिख रहा है। चुनाव प्रचार ख़त्म होने से एक दिन पहले ABP न्यूज़, न्यूज़ 24 और ISOMES के ओपिनियन पोल में आम आदमी पार्टी यानी आप की बड़ी जीत होने का दावा किया गया है।
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बीजेपी और कांग्रेस की हालत ख़राब बताई गई है। सर्वे से साफ लगता है कि नेताओं के भड़काऊ बयान, शाहीन बाग के नाम पर साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण और चुनावी आक्रामकता के बावजूद चुनावी नतीजे प्रभावित नहीं होंगे।
बता दें कि दिल्ली में प्रचार कल खत्म हो जायेगा। 8 फरवरी को मतदान होगा और 11 फरवरी को नतीजे आयेंगे। लेकिन इससे पहले आए सर्वे संभावित नतीजों की तरफ़ इशारा करते हैं।
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दिल्ली के सात लोकसभा क्षेत्रों में आने वाले 70 विधानसभा सीटों के लिए जनता से राय ली गई है। सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने का रास्ता साफ दिख रहा है।
दिल्ली में सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 36 है। आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरती दिखाई दे रही है। आप का आंकड़ा 42 से 56 के बीच रह सकता है। बीजेपी के सीटों में इजाफा हो सकता है। बीजेपी का आंकड़ा 10 से 24 सीटों के बीच रह सकता है।
वहीं कांग्रेस का खाता खुल सकता है और वह अधिकतम चार (0-4) सीटें जीत सकती है। सर्वे की मानें तो दिल्ली में आम आदमी पार्टी को 45.6 फीसदी, बीजपी को 37.1 फीसदी को वहीं कांग्रेस के खाते में 4.4 फीसदी वोट जाने का अनुमान है।
साल 2015 के विधानसभा चुनाव में आप ने 67 सीटों पर कब्जा जमाया था। बीजेपी ने तीन सीटों पर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस का खाता नहीं खुल सका था। दिल्ली में विधानसभा की कुल 70 सीटें हैं।
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दूसरी ओर न्यूज़ 24 और ISOMES के ताज़ा ओपिनियन पोल के मुताबिक़ आप को 48-53 सीटें, बीजेपी को 15-20, कांग्रेस को 0-2 सीटें मिल सकती हैं। हर सर्वे में कांग्रेस की हालत ख़राब आ रही है। वैसे बीजेपी की स्थिति भी ठीक नहीं है, लेकिन कांग्रेस की अपेक्षा बेहतर है।
दो दिन पहले आए टाइम्स नाउ-इपसास के सर्वे में भी कहा गया था कि ‘आप’ इस बार दिल्ली में 54- 60 सीटें जीत सकती हैं, जबकि बीजेपी को 10 से 14 सीटें मिलने का अनुमान है। कांग्रेस बड़ी मेहनत के बाद भी 0 से 2 सीटों पर ही कब्जा जमा सकती है। इस लिहाज से दोनों ओपिनियन पोल में ज़्यादा फर्क पड़ता नहीं दिख रहा है।
इन ओपिनियन पोल के बाद सवाल उठता है कि क्या दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करिश्मा काम नहीं कर रहा है? क्या इतने तिकड़म के बावजूद बीजेपी दिल्ली में एक बार फिर बुरी हार की तरफ बढ़ रही है? क्या आम आदमी पार्टी 2015 के विधानसभा चुनाव जैसा प्रदर्शन दोहरा पायेगी? और क्या नागरिकता कानून भी दिल्ली में बीजेपी को नहीं बचा पायेगा?
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न्यूज़ 24 के ताज़ा ओपिनियन पोल में शाहीन बाग़ वाले घटनाक्रम से पहले का मूड भी दिखाया गया है। सर्वे के अनुसार 20-24 जनवरी तक कराए गए सर्वे के अनुसार, 39 फीसदी लोगों ने बिजली-पानी को मुद्दा माना जबकि राष्ट्रवाद को 32 फीसदी और भ्रष्टाचर को 29 फीसदी लोगों ने मुद्दा माना है।
केजरीवाल सरकार के काम को लेकर भी एक सर्वे किया गया है। इस सर्वे में सवाल पूछा गया है कि केजरीवाल सरकार के काम को कैसा मानते हैं? इसके जवाब में 53 फीसदी लोगों ने केजरीवाल के काम को ‘अच्छा’ बताया, 32 फीसदी लोगों ने ‘औसत’ और 15 फीसदी लोगों ने ख़राब बताया।
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