न्यूज डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को राजनीतिक मसलों को सुलझाने के लिए कोर्ट का इस्तेमाल न करने की सलाह दी है।
दरअसल पश्चिम बंगाल में बीजेपी और टीएमसी कार्यकर्ताओं के बीच जारी राजनैतिक हिंसा का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। बीजेपी के एक नेता ने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है।
इस याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने टिप्पणी करते हुए कहा कि राजनैतिक मामलों का निपटारा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। बेहतर होगा कि आप टीवी स्क्रीन पर अपना स्कोर बराबर कर लें।
पश्चिम बंगाल में चल रही राजनैतिक हिंसा के मामले को लेकर बीजेपी प्रवक्ता गौरव बंसल ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी। याचिका पर सुनवाई के दौरान भाजपा की तरफ से वरिष्ठ वकील गौरव भाटिया और पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल कोर्ट में पेश हुए।
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील सिब्बल ने इसका विरोध किया और कहा कि कोर्ट को यह जांचना चाहिए कि कोई राजनैतिक पार्टी जनहित याचिका दाखिल कर सकती है क्या!
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सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा कि ‘हम ये बात जानते हैं कि राजनैतिक पार्टियां अपने मसले सुलझाने के लिए कोर्ट का इस्तेमाल करती हैं। सीजेआई ने कहा कि बेहतर होगा कि आप दोनों किसी टीवी चैनल पर जाएं और वहां अपने स्कोर बराबर कर लें।’
कोर्ट ने दोनों वरिष्ठ वकीलों के राजनैतिक बयानबाजी करने पर भी नाराजगी जाहिर की। हालांकि याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार से जवाब मांगा है। जवाब देने के लिए सरकार को 4 हफ्ते का समय मिला है।
गौरतलब है कि बीजेपी की तरफ से उच्चतम न्यायालय में जो याचिका दाखिल की गई थी, उसमें पश्चिम बंगाल में भाजपा कार्यकर्ता दुलाल कुमार की मौत की सीबीआई जांच की मांग की गई थी।
वर्ष 2018 में पश्चिम बंगाल के बलरामपुर विधानसभा क्षेत्र के दाहा गांव में दुलाल कुमार नामक युवक का शव एक हाईटेंशन टावर से लटका मिला था।
बताया गया था कि दुलाल टीएमसी सरकार के खिलाफ बीजेपी द्वारा आयोजित की गई रैली में भाग लेने गया था। बीजेपी ने दुलाल की हत्या होने का आरोप लगाया था।
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