न्यूज डेस्क
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के एक वॉट्सऐप मेसेज से दुनिया के सबसे अमीर शख्स जेफ बेजॉस का फोन हैक हो गया। भले ही सुनने में यह हैरानी भरा लगे, लेकिन यह सच है। खबरों की माने तो सलमान ने एक विडियो मेसेज भेजा था और उसके बाद बेजॉस का फोन हैक हो गया। इस पूरे घटनाक्रम को सऊदी पत्रकार जमाल खशोगी हत्याकांड से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
हालांकि, जेफ बेजॉस की फोन हैकिंग होने की रिपोर्ट्स को सऊदी अरब ने खारिज किया है। अमेरिका स्थित सऊदी दूतावास ने ट्विटर पर लिखा, ‘हालिया मीडिया रिपोर्ट्स में जेफ बेजॉस के फोन की हैकिंग में सऊदी शासन का हाथ की बात कही गई है। यह बेहूदा आरोप है। इन दावों पर हमने जांच का आदेश दिया है ताकि हमारे पास सही तथ्य रहें।’
माना जा रहा है कि जेफ बेजॉस के फोन की हैकिंग करने का काम भी इजरायली फर्म एनएसओ की ओर से तैयार पेगासस स्पाइवेयर के जरिए किया गया था।
बता दें कि बीते साल भारत में भी इस स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर वॉट्सऐप के जरिए डेटा चुराने की बात सामने आई थी। करीब दो दर्जन अकादमिक जगत के लोगों, वकीलों, दलित ऐक्टिविस्ट्स और पत्रकारों के फोन इसमें शामिल थे।
मोहम्मद बिन सलमान ने महज एक विडियो मेसेज के जरिए बेजॉस के फोन हैक कर एक्सेस पा ली थी। रिपोर्ट के मुताबिक बेजॉस के फोन की हैकिंग के बाद उसमें मौजूद डेटा को ट्रांसफर कर लिया गया। दरअसल इस पूरे काम में प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान खुद इसलिए शामिल हुए थे क्योंकि उन पर शक की गुंजाइश नहीं थी।
बुधवार को जारी की गई संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में भी फोन हैक किए जाने की पुष्टि हुई है। ऐमजॉन के फाउंडर जेफ बेजॉस उसी वॉशिंगटन पोस्ट अखबार के मालिक भी हैं, जिससे पत्रकार जमाल खशोगी जुड़े हुए थे। बता दें कि सऊदी सरकार के आलोचक रहे खशोगी की हत्या के मामले में क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का नाम भी लिया जाता रहा है।
जेफ बेजॉस के फोन को पिछले साल हैक किया गया था। अब तक फोन को हैकिंग करने का तरीका स्पष्ट हो चुका है और इस पूरे मामले में प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान निजी तौर पर शामिल थे।
बता दें कि बेजॉस ने फरवरी 2019 में एक ब्लॉग लिखकर अमेरिकन मीडिया इंक के डेविड पैकर द्वारा ब्लैकमेल किए जाने की बात कही थी। डेविड पैकर नैशनल इन्क्वॉयरर नाम से टेबलॉयड निकालते हैं। इस टेबलॉयड ने जेफ बेजॉस की ओर उनकी गर्लफ्रेंड लॉरेन सांचेज को भेजे गए निजी मेसेज छापे थे। माना जा रहा है कि इस कथित ब्लैकमेल के पीछे सऊदी अरब को लेकर वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्टिंग थी, जबकि डेविड पैकर का अखबार सऊदी शासन के करीब है।
अपनी निजी जानकारियां साझा होने के बाद जेफ बेजॉस ने सिक्यॉरिटी एक्सपर्ट गाविन डे बेकर की सेवाएं ली थीं। मार्च, 2019 में बेकर ने एक अखबार में लिखी पोस्ट में दावा किया था कि बेजॉस के इन निजी संदेशों और अन्य चीजों की उनके फोन से ही चोरी होने की आशंका है। इन्हें किसी ने अवैध तौर पर जेफ बेजॉस के फोन से हासिल किया था।
गौरतलब है कि वॉशिगंटन पोस्ट अखबार और हत्या का शिकार हुए उसके स्तंभकार जमाल खशोगी सऊदी अरब के आलोचक माने जाते रहे हैं। खशोगी की तुर्की के इस्ताम्बुल में स्थित सऊदी दूतावास में हत्या कर दी गई थी।