न्यूज डेस्क
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रोहिंटन नरीमन ने सोमवार को भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को कड़ी फटकार लगाया है। उन्होंने माल्या की याचिका पर रोक लगाते हुए खुद को इस मामले से अलग कर लिया है।
जस्टिस रोहिंटन नरीमन ने यह टिप्पणी मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष किया। उन्होंने भगोड़े कारोबारी माल्या को फटकार लगातेहुए उन्होंने कहा कि उसने बैंकों को दी जाने वाली धनराशि अभी तक नहीं लौटाई। चूंकि जस्टिस नरीमन ने इस मामले से खुद को अलग कर लिया है तो अब मुख्य न्यायाधीश इस मामले की सुनवाई करने वाली नई पीठ का गठन करेंगे।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल जून में माल्या ने खुद के स्वामित्व वाली संपत्तियों को जब्त करने पर रोक लगाने के लिए उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की थी।
यह भी पढ़ें : लखनऊ के नवाबों को अंग्रेजी तो गोरखपुरियों को देशी है पसंद
यह भी पढ़ें : तीन राजधानी वाला पहला प्रदेश बना आंध्र प्रदेश
इस याचिका में तर्क दिया गया था कि जांच एजेंसियों द्वारा उसके खिलाफ दायर किए गए आरोप निराधार हैं और केंद्र ने उसके पैसा लेने के प्रस्ताव से इनकार कर दिया।
इस माह की सुनवाई के दौरान केंद्र के दूसरे सबसे वरिष्ठ कानूनी अधिकारी तुषार मेहता ने जोर देकर कहा था कि माल्या और उनकी कंपनियां सालों से कह रहीं है कि कर्ज चुकाएंगे, मगर अभी एक पैसे का भी भुगतान नहीं किया गया है।
गौरतलब है कि 12 बैंकों ने कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर ईडी द्वारा जब्त की गई संपत्ति को बैंकों को सौंपने की गुहार लगाई है। माल्या ने इसी याचिका के विरोध में कोर्ट में अर्जी लगाई है।
मालूम हो कि विजय माल्या पर भारतीय बैंकों का करीब 9 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। शराब कारोबारी बैंकों का पैसा लौटाए बिना विदेश भाग गया और अभी इंग्लैंड में प्रत्यर्पण संबंधी प्रकियाओं से गुजर रहा है। पिछले साल ही स्पेशल कोर्ट ने उसे आर्थिक भगोड़ा घोषित किया था।
यह भी पढ़ें :तो इस वजह से पंत की बढ़ी मुश्किलें
यह भी पढ़ें : सुस्त अर्थव्यवस्था के बीच बीजेपी ने कितना कमाया