राजेंद्र कुमार
यूपी के डीपीपी ओपी सिंह का कार्यकाल खत्म होने में अब मात्र दस दिन बचे हैं। ऐसे में अब बड़ा सवाल ये हैं कि उन्हें तीन महीने का सर्विस एक्सटेंशन मिलेगा या नही? और अगर नहीं मिलेगा तो सूबे का अगला डीजीपी कौन होगा? और सूबे में तैनात किस अधिकारी को यह जिम्मेदारी मिलेगी? इसे लेकर पुलिस मुख्यालय की सिग्नेचर बिल्डिंग में बैठने वाले आला अफसर जमकर मगजमारी कर रहे हैं।
इन अफसरों के अनुसार पहली बार सूबे की सरकार दो नावों पर सवार हुई है, जिसके तहत मौजूदा डीजीपी ओपी सिंह का कार्यकाल तीन माह बढ़ाने की कवायद करने के साथ ही सरकार ने नये डीजीपी के लिए भी लिए अधिकारियों के नामों का पैनल संघ लोक सेवा आयोग को भेजने के लिए तैयार किया है।
चर्चा हैं कि इस पैनल में केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात अधिकारियों के नाम नही हैं। इसमें सूबे में तैनात 1985 से 1988 बैच के आईपीएस अफसरों के नाम हैं। फिलहाल पैनल में शामिल अफसरों के नामों का खुलासा गृह विभाग के हाकिम नहीं कर रहें हैं, पर यह अफसर यह जरुर बता रहें हैं कि सूबे में नए डीजीपी की तैनाती का मसला हल होने के तुरंत बाद डीजी और एडीजी स्तर के कुछ अफसरों की जिम्मेदारी में फेरबदल होगा।
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सरकार के उच्च स्तर से मिले ऐसे संकेतों के आधार पर अब यह कहा जा रहा है कि अगर ओपी सिंह का कार्यकाल बढ़ाने को लेकर केंद्र सरकार सहमत नहीं हुई तो हितेश चंद्र अवस्थी के नए डीजीपी होंगे। इनका नाम संघ लोक सेवा आयोग को भेजे जाने वाले पैनल में पहले नंबर पर है।
मुख्यमंत्री भी उन्हें बेहरत और सुलझा हुआ अफसर मानते हैं। बीते दिनों मुख्यमंत्री ने अधिकारियों की ट्रांसफ़र-पोस्टिंग में उनकी रही ली थी। सतर्कता अधिष्ठान के निदेशक 1985 बैच के आईपीएस हितेश चंद्र अवस्थी जून 2021 में रिटायर होंगे। साफ छवि के अफसरों में गिने जाने वाले हितेश चंद्र अवस्थी करीब 14 वर्ष तक सीबीआई में तैनात रहे हैं।
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डीजीपी की कुर्सी पर काबिज होने की मंशा डीजी ईओडब्ल्यू के पद पर तैनात वर्ष 1987 बैच के आईपीएस अफसर राजेंद्र पाल सिंह और वर्ष 1988 बैच के आरके विश्वकर्मा की भी है। विश्वकर्मा उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती और प्रोन्नति बोर्ड के डीजी के पद पर तैनात आरके विश्वकर्मा की गिनती भी तेजतर्रार अफसरों में होती है।
केंद्र में तैनात एपी महेश्वरी और अरुण कुमार के यूपी ना आने के मिले संकेतों के बाद यूपी में कार्यरत इन अफसरों के नाम पैनल में रखे गए हैं। इन नामों को लेकर गृह विभाग के अधिकारी फ़िलहाल चुप हैं, पर उन्होंने यह जरुर बताया है कि चंद दिनों में ही मुख्यमंत्री की गुडबुक में शामिल एक एडीजी को पश्चिम यूपी से लखनऊ में एक महत्वपूर्ण दायित्व दिया जायगा। इसके अलावा एक डीजी स्तर के अधिकारी जो मुख्यमंत्री के नजदीकी बताये जाते हैं उन्हें डीजी इंटेलिजेंस बनाया जायगा। जिसके चलते कई अन्य अधिकारियों की जिम्मेदारी भी बदली जायेंगी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)