न्यूज डेस्क
पाकिस्तान अपनी आदत से बाज नहीं आने वाला है। कश्मीर मसले को लेकर उसकी कितनी बार किरकिरी हो चुकी है फिर भी वह अपनी आदत से बाज नहीं आने वाला। एक बार फिर पाकिस्तान को कश्मीर के मसले पर मुंह की खानी पड़ी है।
संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर मसले पर पाकिस्तान की किरकिरी हुई है। पाकिस्तान की अपील पर चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में एओबी (एनी अदर बिजनेस) के तहत कश्मीर मसले पर क्लोज डोर मीटिंग का प्रस्ताव रखा। जिसका जिसका स्थायी सदस्यों फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन और रूस के साथ 10 सदस्यों ने विरोध किया और कहा कि यह मामला यहां उठाने की जरूरत नहीं है।
मीडिया रिपोटर्स के मुताबिक अगस्त 2019 के बाद कश्मीर पर क्लोज डोर मीटिंग को लेकर की गई पहल कामयाब नहीं हो सकी। किसी ने चीन के प्रस्ताव को नहीं माना। यूएनएससी के अन्य सभी 14 सदस्यों का मानना है कि यह कोई ऐसा मामला नहीं था, जिसके लिए चर्चा की जरूरत थी।
यह भी पढ़ें : कौन है करीम लाला, इंदिरा गांधी से क्या है कनेक्शन?
यह भी पढ़ें : संत पर क्यों भड़के सीएम येदियुरप्पा
प्रस्ताव के खिलाफ फ्रांस
यूएनएससी में चीन के प्रस्ताव पर फ्रांसीसी राजनयिक ने कहा, ‘फ्रांस ने एक बार फिर कश्मीर मुद्दे को उठाने के लिए हृस्ष्ट सदस्य (चीन) के अनुरोध को नोट किया है। फ्रांस की स्थिति नहीं बदली है और बहुत स्पष्ट है कि कश्मीर मुद्दे का हल भारत और पाकिस्तान को द्विपक्षीय बातचीत से सुलझाया जाना चाहिए। ‘
वहीं कश्मीर मुद्दे पर ब्रिटेन ने कहा कि यह द्विपक्षीय मसला है और इसका संयुक्त राष्ट्र से कोई लेना-देना नहीं है। बाकी देशों की तरह अमेरिका ने भी कहा कि यह मामला यूएनएससी का नहीं है।
वहीं भारतीय राजदूत अकबरुद्दीन ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य करने के लिए भारत सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान गड़बड़ी करने की कोशिश कर रहा है।
भारतीय राजदूत ने कहा, ‘हमें खुशी है कि चीन के प्रयास को एक व्याकुलता के रूप में देखा गया और भारत के कई दोस्त देशों ने कहा कि यह मामला द्विपक्षीय है और इसको यूएनएससी के सामने उठाने की जरूरत नहीं है. पाकिस्तान को भारत से बातचीत करके मामले का हल ढूंढना चाहिए।’
फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका के अलावा यूएनएससी के एक और सदस्य ने कश्मीर मसले को द्विपक्षीय बताया। नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में एस्टोनियाई विदेश मंत्री उरमास रिंसलू ने कहा कि यह एक द्विपक्षीय मुद्दा है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान की अपील पर चीन ने यूएनएससी के सामने जम्मू-कश्मीर का मसला उस समय उठाया था जब भारत ने 15 देशों के राजनयिकों को जम्मू-कश्मीर का दौरा कराया था। भारत ने हाल में ही जम्मू-कश्मीर में ब्रॉडबैंड और 2जी सेवाओं में रियायत दी है। इसके साथ ही कुछ राजनीतिक बंदियों की रिहाई की गई है।
यह भी पढ़ें :रजनीकांत ने की पत्रकारों से निष्पक्ष होने की अपील
यह भी पढ़ें : लालू के विधायक ने नीतीश की तारीफ में क्या कहा