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संत पर क्यों भड़के सीएम येदियुरप्पा

न्यूज डेस्क

इसीलिए कहा जाता है कि बिना मांगे किसी को सलाह नहीं देनी चाहिए। कर्नाटक में एक संत को मुख्यमंत्री को सलाह देना भारी पड़ गया।

14 जनवरी को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस युदियुरप्पा एक कार्यक्रम में पहुंचे, लेकिन मंच पर वह अपना आपा खो बैठे और मंच छोड़कर जाने लगे।

दरअसल कर्नाटक के दवंगेरे में लिंगायत रैली के दौरान मंच पर उपस्थित लिंगायत संत वचनानंद स्वामी ने सीएम येदियुरप्पा से कहा, “मुख्यमंत्री, आप मेरे बगल में हैं। मैं आपको बताना चाहता हूं, मुरुगेश निरानी को नजरअंदाज न करें। यदि आप अब उनकी देखभाल नहीं करते हैं, तो आप पूरे समुदाय का समर्थन खो देंगे।”

स्वामी मुरुगेश निरानी को मंत्रिमंडल में शामिल करने की मांग कर रहे थे।

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संत की यह बात सुनते ही येदियुरप्पा का चेहरा लाल हो गया और वे तुरंत अपनी जगह से उठ खड़े हुए। उन्होंने कहा, “मैं यहां यह सब सुनने के लिए नहीं हूं। मैं आपकी मांगों के अनुसार काम नहीं कर सकता। मैं जा रहा हूं।”

मुख्यमंत्री ने संत के पैर छुए और जाने लगे, लेकिन वचनानंद ने आग्रह कर उन्हें रोक लिया। इसके बाद येदियुरप्पा फिर से अपनी कुर्सी पर बैठ गए। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान राज्य के गृहमंत्री बसवराज बोम्मई और अन्य भाजपा नेता मौजूद थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस मामले पर येदियुरप्पा ने कहा, “पंचमाली लिंगायत समुदाय के लिए के लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने के बारे में अभी तक कोई चर्चा नहीं हुई है।”

इस घटना के बाद रैली को संबोधित करते हुए सीएम येदियुरप्पा ने अपने इस्तीफे की पेशकश की। उन्होंने जोर देकर कहा कि वह उन 17 बागी विधायकों की “देखभाल करने” के लिए मजबूर थे जिन्होंने उन्हें मुख्यमंत्री बनाने में मदद करने के लिए अपनी पार्टियों को छोड़ दिया था।

येदियुरप्पा ने कहा, मैं संत से अनुरोध करता हूं, कृपया मेरी स्थिति को समझें। 17 विधायकों ने विधायक और मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। यदि वे नहीं होते तो येदियुरप्पा मुख्यमंत्री नहीं होते। यह उनके त्याग और आपके सभी आशीर्वादों के कारण है कि मैं राज्य का सीएम बन गया हूं। आप मुझे सुझाव देते हैं तो मैं व्यक्तिगत रूप से आऊंगा और चर्चा करूंगा। अगर आपको जरूरत नहीं है, तो मैं कल इस्तीफा देने को तैयार हूं।”

गौरतलब है कि बिलगी के एक विधायक मुरुगेश निरानी लिंगायत समुदाय से हैं और वह इस समुदाय के चेहरे के रूप में भाजपा के भीतर एक मजबूत चेहरे के रूप में गिने जाते हैं। लिंगायतों के पास कर्नाटक में भाजपा के वोटों की संख्या है। संभावना जताई जा रही है कि इस महीने के बाद येदियुरप्पा मंत्रिमंडल में नए सदस्यों को शामिल किया जा सकता है।

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