न्यूज डेस्क
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी हुए पांच माह से अधिक समय हो गया और नेताओं व सामाजिक कार्यकर्ताओं की रिहाई अब तक नहीं हुई है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती आज भी नजरबंद हैं। फिलहाल फारूख और उमर को लेकर ऐसी चर्चा है कि मोदी सरकार उनको रिहा करने पर विचार कर रही है। लेकिन यह रिहाई ऐसे ही नहीं होगी। इसके लिए बकायदा एक डील होगा।
ऐसी खबरें है कि केन्द्र सरकार इन दोनों नेताओं को रिहा करने के लिए एक डील पर विचार कर रही है। इसके तहत इन दोनों नेताओं को रिहाई के बाद कुछ समय के लिए सक्रिय राजनीति से ब्रेक लेना होगा।
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मालूम हो कि शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर की स्थिति का जायजा लेने के लिए विदेशी राजनायिकों का दौरा हुआ है। इनके दौरे के एक दिन बाद ही पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला को रिहा करने की चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार से जुड़े सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी है और जल्द ही फारुख अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला को इस ऑफर के बारे में जानकारी दी जाएगी। सूत्रों के मुताबिक, ऐसा भी विचार किया गया कि फारुख और उमर अब्दुल्ला को कुछ समय के लिए ब्रिटेन भेज दिया जाए। बताया जा रहा है कि दोनों नेता रिहाई के बाद एजेंट्स के द्वारा अपनी पार्टी का संचालन करेंगे।
गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी किया था। तभी से ये दोनों नेता नजरबंद हैं। वहीं 10 जनवरी को जम्मू कश्मीर सरकार ने हिरासत में रखे गए 26 लोगों को रिहा कर दिया है।
रिहा किए गए लोगों में वरिष्ठ वकील नाजिर अहमद रोंगा भी शामिल हैं। रोंगा कश्मीर बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष हैं और अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारुख के करीबी बताए जाते हैं।
वहीं 10 जनवरी को ही जम्मू-कश्मीर में जारी पाबंदियों पर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई भी हुई। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को पाबंदियों की समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही विचारों की अभिव्यक्ति और व्यवसाय के लिए इंटरनेट को बहाल करने के निर्देश दिए।
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