राजेंद्र कुमार
सूबे में पांच आईपीएस अफसरों के भ्रष्टाचार को लेकर नोयडा के एसएसपी वैभव कृष्ण का दो माह पहले शासन को लिखा पत्र अब सरकार के लिए समस्या बनने लगा है। इस पत्र को लेकर जहां प्रमुख विपक्षी दलों के नेता योगी सरकार के भ्रष्टाचार को खत्म करने संबंधी संकल्प पर सवाल खड़े कर रहे हैं, वही अब इसी मामले में एडीजी स्तर के अधिकारी जसवीर सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है।
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1992 बैच के आईपीएस जसवीर सिंह ने मुख्यमंत्री से उन पांच अफसरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने की अनुमति देने का आग्रह किया है, जिनके भ्रष्टाचार का उल्लेख नोयडा के एसएसपी वैभव कृष्ण किया है। जसवीर ने मुख्यमंत्री से यह भी आग्रह किया है कि उक्त पाँचों आईपीएस अफसरों को तत्काल उनके पदों हटाते हुए निलंबित किया जाये, ताकि ये अधिकारी भ्रष्टाचार से संबंधित सबूत नष्ट न कर सके। जसवीर का यह पत्र सरकार को उलझन में डाल रहा है।
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मुख्यमंत्री को गत 2 जनवरी को लिखे इस पत्र की प्रतिलिपि जसवीर सिंह ने राज्य के मुख्य सचिव तथा अपर मुख्य सचिव गृह को भी भेजी है। दो पेज का यह पत्र जसवीर ने रजिस्टर्ड डाक से भेजा है। जसवीर यह पत्र मुख्यमंत्री और डीजीपी के कार्यालय देने गए थे, पर दोनों ही जगह उनके पत्र को कोई रिसीव करने को तैयार नहीं हुआ तो उन्होंने यह कदम उठाया।
इसके साथ ही जसवीर सिंह ने गौतमबुद्धनगर सेक्टर -20 के कोतवाली निरीक्षक को भी एक रजिस्टर्ड पत्र भेज कर आग्रह किया है कि गत एक जनवरी को प्रेस कांन्फ्रेंस कर नोयडा के एसएसपी वैभव कृष्ण ने जिन पांच आईपीएस अफसरों के भ्रष्टाचार उल्लेख किया था, उसका संज्ञान लेते हुए उक्त मामले में उनके पत्र का आधार पर एफआईआर दर्ज की जाये।
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इस पत्र में जसवीर सिंह ने लिखा है कि वैभव कृष्ण के पत्रकारों से वार्ता करते हुए उक्त पांच आईपीएस अफसरों के ट्रांस्फर-पोस्टिंग आदि में पैसे लेने संबंधित तथ्य और सूचनाओं का उल्लेख किया गया था जो संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है।
इस मामले में अलग से एफआईआर दर्ज किया जाना अनिवार्य प्रतीत होता है। इसलिए उक्त पांचो आईपीएस के स्तर से हुए कथित भ्रष्टाचार की दण्ड प्रक्रिया संहिता धारा -154 सपठित 39 के अंतर्गत प्राथमिकी दर्ज की जाये।
सरकार के उच्चधिकारियों के जसवीर सिंह का यह पत्र चिंता का सबब बन गया है। जसवीर के पत्र को लेकर सरकार का अगला कदम क्या हो? इसे लेकर शासन के उच्चधिकारियों ने न्याय विभाग के अफसरों से सलाह भी ली। फ़िलहाल डीजीपी और गृह विभाग के अफसर इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं कर रहें है।
ये अधिकारी वैभव कृष्ण के लगाये गए आरोपों पर हो रहे विवाद को खत्म करने के प्रयास में हैं, वही जसवीर सिंह चाहते हैं कि इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री अपने रुख को स्पष्ट करें। जसवीर सिंह के अलावा आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर इस मामले को लेकर आईपीएस एसोसिशन को बैठक बुलाने के लिए आईपीएस अफसरों से मिल रहें हैं।
अमिताभ की पत्नी भी इस मामले को लोकायुक्त के यहां ले जाने के मुहिम में जुटी हैं। अब अगर सरकार के स्तर से इस मामले को हल करने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाये गए तो यह मसला सरकार के लिए समस्या बनेगा।
इसकी वजह पांच आईपीएस अफसरों पर भ्रष्टाचार से संबंधित लगाये गए आरोप हैं। इस आरोपों की अनदेखी नहीं की जा सकती क्यों आरोप लगाने वाले नोयडा के एसएसपी वैभव कृष्ण हैं।
वैभव ने गत एक जनवरी को प्रेस कांफ्रेंस कर डीजीपी व अपर मुख्य सचिव गृह को भेजी गई रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा था कि उन्होंने पत्रकारिता के नाम पर संगठित गिरोह चलाने वाले कथित पत्रकारों उदित गोयल, सुशील पंडित व चंदन राय को जेल भेजा था।
इसी मामले में लखनऊ के नितीश शुक्ला के खिलाफ भी कार्रवाई हुई थी। चंदन की आईपीएस अजयपाल शर्मा, आईपीएस सुधीर सिंह, आईपीएस हिमांशु कुमार, आईपीएस राजीव नारायण मिश्र व आईपीएस गणोश साहा के साथ ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर की गई बातचीत व वॉट्सएप चैटिंग जांच में सामने आई थी। जिसके बारे में लखनऊ में बैठे उच्चाधिकारियों को बताया गया था।
वैभव के अनुसार उसके बाद से ही मेरे खिलाफ साजिश होने लगी और उस क्रम में एक महिला से मेरी बातचीत के संबंधित तीन कथित आपत्तिजनक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किये गए।
इसे लेकर वैभव ने आरोप लगाया था कि अब निजी स्तर पर बदनाम करने के लिए फेक वीडियो वायरल कराए जा रहे हैं। उन्होंने यह दावा भी किया था कि मामले की जांच के बाद पुलिस विभाग के कई अधिकारियों का काला चिट्ठा खुल जाएगा। वैभव कृष्ण ने पत्रकारों को पांच पेज की एक रिपोर्ट भी दी।
इसमें उन्होंने गौतमबुद्धनगर के पूर्व एसएसपी अजयपाल शर्मा, गाजियाबाद के वर्तमान एसएसपी सुधीर कुमार सिंह, बांदा एसपी गणोश साहा, कुशीनगर के पूर्व एसपी राजीव नारायण मिश्र व सुल्तानपुर के वर्तमान में एसपी हिमांशु कुमार का जिक्र था।
भ्रष्टाचार से जुड़े इस अफसरों के संदिग्ध लेने देना का भी इसमें चर्चा थी। रिपोर्ट के अनुसार, अजयपाल शर्मा के मोबाइल की सीडीआर में उनकी अभियुक्त चंदन राय से बात हुई है, जिसमें चंदन द्वारा कहा जा रहा है कि उनकी पोस्टिंग मेरठ करवाने का आश्वासन मिल गया है। पांच पेज की रिपोर्ट पत्रकारों को देने संबंधी प्रकरण को शासन ने सर्विस रुल का उल्लंघन माना और डीजीपी ने इस मामले में जांच के बाद एक्शन लेने की बात कही थी।
इस प्रकरण में वैभव ने अपना स्पष्टीकरण शासन को भेजा दिया है। इस बीच जसवीर सिंह ने पत्र लिखकर एक नया विवाद छेड दिया है। अब देखना है कि जसवीर के पत्र पर सरकार क्या कदम उठाती है।