स्पेशल डेस्क
राजकोट। राजस्थान के कोटा के बाद गुजरात के दो सरकारी अस्पतालों में लगभग 200 बच्चों के मौत की खबर है। इसके बाद से गुजरात में हड़कम्प मच गया है। जानकारी के मुताबिक गुजरात के राजकोट व अहमदाबाद के दो सरकारी अस्तपालों में बच्चों की मरने की खबर है लेकिन इस मामले में गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने चुप्पी साध रखी है। दरअसल इस मामले एक रिपोर्ट सामने आई है। इसके बाद गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने इस बारे में कोई जवाब नहीं दिया।
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सरकारी अस्पताल में शिशुओं की मौत का मामला लगातार सुर्खियों में है। राजकोट और अहमदाबाद के सिविल अस्पतालों में बच्चों की मौत हुई है। इसको लेकर कांग्रेस ने बीजेपी को घेरा है। अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष और पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुष्मिता देव ने ट्विटर इस मुद्दे को उठाया और एक पोस्ट लिखकर बीजेपी से सवाल पूछा है।
उन्होंने ट्विटर पर पूछा है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन बीजेपी शासित गुजरात में बच्चों की मौत पर मौन रहेंगे। आगे लिखा है कि राजकोट के सिविल अस्पताल में 134 बच्चों की मौत हुई है। जबकि अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में 85 बच्चों की मौत हुई है। क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हर्षवर्धन अभी भी चुप रहेंगे। आशा है कि राष्ट्रीय मीडिया इस त्रासदी को उजागर करेगा।
#WATCH: Gujarat Chief Minister Vijay Rupani walks away when asked about reports of deaths of infants in hospitals in Rajkot and Ahmedabad. pic.twitter.com/pzDUAI231Z
— ANI (@ANI) January 5, 2020
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बच्चों के लिए चिंता का विषय सलेक्टिव नहीं होना चाहिए। उन्होंने इस ट्वीट में सांसद लॉकेट चटर्जी को भी टैग किया है। बता दें कि लॉकेट चटर्जी कोटा में एक अस्पताल में बच्चों की मौत को लेकर गठित पार्टी के चार सांसदों वाली समिति की सदस्य हैं।
134 children died in Rajkot civil hospital. In Ahmedabad civil hospital 85 children died.
Will @narendramodi & @drharshvardhan remain silent now.
Hope the national media will highlight this tragedy.Concern for children should not be selective? @me_locket do visit Gujarat ! https://t.co/sgXVdqfccM
— Sushmita Dev (@sushmitadevinc) January 5, 2020
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एक न्यूज एजेंसी की माने तो अस्पताल में दिसंबर के महीने में 111 बच्चें मौत की नींद सो गए थे। इतना ही नहीं दिसम्बर में 455 नवजात शिशुओं नवजात भर्ती कराया गया था लेकिन इसमें 85 बच्चों ने दम तोड़ दिया था। इन बच्चों की मौत का कारण किसी को नहीं पता है। अब देखना होगा सरकार इस पर क्या एक्शन लेती है।