Sunday - 27 October 2024 - 10:37 PM

सैंटा क्लाज उदास है लेकिन निराश नहीं

राजीव ओझा

लखनऊ वालों के लिए इस साल क्रिसमस ईव बिना इंटरनेट के ही बीत गई और क्रिसमस का पूरा दिन भी इन्टरनेट के बिना निकलने वाला है। सैंटा क्लाज इस बार भी लोगों के लिए ढेर सारे गिफ्ट लाया था। उसने सोचा था कि क्रिसमस ईव पर सब को ऑनलाइन बांटेगा। लखनऊ में अभी तक सभी मिल कर क्रिसमस मनाते आए हैं। इसी लिए सैंटा मुस्लिम, हिन्दू, इसाई, सिख सभी के लिए गिफ्ट लाया था। लेकिन अब क्रिसमस की शाम को ही गिफ्ट बाँट पायेगा क्योंकि नेट बंद है।

सैंटा जब लखनऊ आया तो उसको पता चला की अमन के कुछ दुश्मनों ने क्रिसमस के पहले ही अफवाहें फैला कर समाज को बांटने की नाकाम कोशिश की थी। इसी लिए नेट बंद कर दिया गया।

सैंटा को पता है कि इंटरनेट के कई नुकसान हैं लेकिन इससे कहीं ज्यादा इसके फायदे हैं। इसका सबसे सकारात्मक पहलू है कि यह भाईचारा, खुशियाँ बांटता है। लेकिन इस बार नेट बंद होने से मुस्लिम, हिन्दू, इसाई, सिख भाई आपस में क्रिसमस की विश एक दूसरे से साझा नहीं कर पा रहे। लेकिन सैंटा उदास है पर निराश नहीं। उसे पता है लखनऊ की तहजीब और मिजाज को मिटाना इतना आसान नहीं।

सैंटा को पता है की इन्टरनेट अब हमारे जीवन की जरूरत है, व्यापार-कारोबार की जरूरत है, संचार की जरूरत है। समाज के लिए इन्टरनेट अपरिहार्य हो गया है। इन्टरनेट कितना जरूरी है इसका पता दंगाइयों, बलवाइयों और अफवाह फैलाने वालों को भी पिछले एक हफ्ते में अच्छी तरह से चल गया है। एक बात और साफ़ हो गई है कि इसका दुरूपयोग करने वाले को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।

अफवाह भड़काऊ और भ्रामक खबरों को फैलने से रोकने के लिए सरकार का सबसे प्रभावशाली हथियार है इंटरनेट। जब हालात बेकाबू हो जाते हैं तो प्रशासन को इन्टरनेट शटडाउन करता है। कश्मीर में इसका असर लोग देख चुके हैं। दिल्ली ने भी पिछले दिनों नागरिकता संशोधन एक्ट के विरोध के दौरान इन्टरनेट शटडाउन के दंश को झेला। अब उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत प्रदेश भर के दो दर्जन से ज्यादा जिले इन्टरनेट शटडाउन की वजह से परेशानी झेल रहे हैं।

आप सोच भी नहीं सकते कि इंटरनेट शटडाउन से कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इससे जनता और खुद सरकार को भी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।

इंटरनेट शटडाउन से सब को नुकसान

नागरिकता संशोधन एक्ट पर लोगों के हिंसक विरोध प्रदर्शन को देखते हुए कई इलाकों के इंटरनेट कनेक्शन बंद किए गए। सरकार की मंशा थी कि विरोध प्रदर्शन की वजह से किसी तरह की अफवाह नहीं फैले। इसमें प्रशासन को सफलता भी मिली, लेकिन कई सौ करोड़ के आर्थिक नुक्सान की कीमत पर। आजकल पुलिस प्रशासन किसी भी तनावग्रस्त इलाके में शांति व्यवस्था बहाल करने के लिए सबसे पहला काम करती है कि इंटरनेट को बंद कर देती है।

यह सही है कि इंटरनेट शटडाउन की वजह से वॉट्सऐप, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया साइट्स के बंद हो जाने से अफवाह नहीं फैलती और बिगड़े कानून व्यवस्था में शांति बहाली में मदद मिलती है। लेकिन इंटरनेट शटडाउन से होने वाले नुकसान कहीं अधिक बड़े हैं।

शटडाउन यानी आर्थिक नुकसान

आजकल बैंकों और कार्पोरेट वर्ड में ज्यादातर कारोबार ऑनलाइन होता है। बिना नेट हम ऑनलाइन लेनदेन की कल्पना भी नहीं कर सकते। इससे टेलीकॉम्यूनिकेशन कंपनियों को भी आर्थिक नुकसान पहुंचता है। सरकारी कार्यालय हो या निजी कारोबार, आज का पूरा सिस्टम इंटरनेट से जुड़ा है। हर कदम पर हमको इंटरनेट की जरूरत पड़ती है। इंटरनेट नहीं होने की वजह से बैंको के काम-काज पर बहुत असर पड़ता है। ओला, ऊबर जैसी जैसी कैब फैसिलिटी, ट्रेन या फ्लाइट रिजर्वेशन में रूकावट आती है। खाने-पीने के लिए स्वीगी और जोमैटो जैसे ऐप का इस्तेमाल नहीं कर सकते और पेटीएम, एटीएम के जरिए डिजिटल पेमेंट करने वालों का धंधा सबसे ज्यादा प्रभावित होता है।

इन कम्पनियों से जुड़े लाखों युवाओं की आमदनी पर बहुत बुरा असर पड़ता है। नेट के बिना ऑनलाइन शॉपिंग की कल्पना तक नहीं की जा सकती। इस तरह इंटरनेट बंद होने से हर कदम पर असुविधाओं का सामना सबको करना पड़ता है। इसमें बलवाई और उनके परिवार वाले भी शामिल हैं। हर स्तर पर आर्थिक नुकसान होता है।

व्यापार पर सीधी चोट

एक आंकड़े के मुताबिक भारत में पिछले 5 वर्षों में तकरीबन 16 हजार घंटों तक के लिए इंटरनेट शटडाउन रहा है. इससे करीब करीब 21,584 करोड़ का नुकसान हुआ है। इस आंकड़े को इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशन ने जारी किया है। सीएए और एनआरसी के विरोध में भड़की हिंसा के बाद लखनऊ,गाजियाबाद, मेरठ, संभल, कानपुर, इलाहाबाद जैसे शहरों में इंटरनेट की बंदी से ई कामर्स और आनलाइन कारोबार पर बुरा असर पड़ा है। इससे करीब 500 करोड़ से अधिक का नुकसान हो चुका है।

बहुत मजबूरी में होता है इंटरनेट बंद

नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ लोगों के उग्र और हिंसक प्रदर्शन को देखते हुए असम में 10 दिनों तक इंटरनेट कनेक्शन बंद रहा। दिल्ली में हुए जबरदस्त विरोध प्रदर्शन को देखते हुए राजधानी के कई इलाकों में इंटरनेट को बंद कर दिया गया। उत्तर प्रदेश गुजरात और बिहार के कई हिस्सों में इंटरनेट कनेक्शन को शटडाउन किया गया है। इन सब इलाकों को शामिल कर लिया जाये तो नुक्सान 3000 करोड़ से भी ज्यादा हो चुका है। लेकिन राजनितिक दल वोटबैंक के ईंधन से अपनी रोटियां सेंक रहे हैं लेकिन वो अपने ही वोटबैंक को आर्थिक बर्बादी की ओर धकेल रहे हैं। सरकार को बहुत मजबूरी में ही शटडाउन का सहारा लेना लेना पड़ता है और इससे नुकसान सभी का होता है। अब सैंटा को बस क्रिसमस की शामम का इन्तजार है जब तहजीब के शहर में नेट की घंटी बजेगी और लखनऊ में फिर से जिंगल बेल गूँज उठेगी।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख में उनके निजी विचार हैं)

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