Wednesday - 30 October 2024 - 12:23 PM

झारखंड में आखिर क्यों भगवा रंग उतरा

स्पेशल डेस्क

रांची। झारखंड चुनाव के नतीजे से बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है। दरअसल सोमवार को झारखंड चुनाव के नतीजे पर सबकी नजरे थी लेकिन परिणाम बीजेपी के पक्ष में नहीं आया हैं बल्कि कांग्रेस जेएमएम के महागठबंधन को जनता ने समर्थन दिया। इसके साथ ही महाराष्ट्र के बाद एक और राज्य से भगवा रंग उतरता नजर आ रहा है। झारखंड के चुनावी दंगल में बीजेपी ने अबकी बार 65 पार का नारा दिया था, लेकिन जनता ने इस नारे को खारिज कर दिया है।

झारखंड चुनाव में बीजेपी का ऐसा हाल क्यों हुआ इसको लेकर भी अब गहन मंथन चल रहा है। बीजेपी के शीर्ष नेता इस हार से काफी निराश है और इस हार का कारण खोजने में जुट गए है।

बीजेपी के हार के मुख्य कारण ये हो सकते हैं

1-पिछले चुनाव में बीजेपी ने झारखंड में कुल 37 सीटों पर कब्जा किया था लेकिन ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन की मदद से बीजेपी ने सत्ता हासिल कर ली थी। इसके साथ ही रघुवर दास सीएम बन गए थे लेकिन जनता उनके कामकाज से खुश नहीं थी।

2-इतना ही नहीं 15 नवंबर 2018 को झारखंड के स्थापना दिवस के मौके पर शिक्षकों पर जमकर लाठी पुलिस ने चलायी थी और एक शिक्षक की मौत तक हो गई थी। माना जाता है कि इस घटना के बाद से ही सीएम रघुवर दास की छवि बेहद खराब हो गई। इसके बाद से शिक्षकों ने हड़ताल पर चले गए। बता दें कि पैरा शिक्षकों की संख्या झारखंड में करीब 70 से 80 हजार संख्या बतायी जा रही है।

3-दूसरी ओर आंगनबाड़ी सेविका और सहायिकाओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था। इसको लेकर काफी विरोध हुआ था। इसी का फायदा हेमंत सोरेन उठाते हुए चुनाव प्रचार में इस मुद्दे को खूब बढ़-चढ़कर उठाया था। इसके आलावा विपक्ष ने आदिवासियों के लिए जल जंगल और जमीन का मुद्दा जोर-शोर से उठाया।

4-झारखंड में बीजेपी और ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन ने मिलकर पांच साल तक सत्ता में राज किया था लेकिन चुनाव के ठीक पहले ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन ने चुनाव में अकेले उतरने का फैसला किया। इस वजह से बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा है। पिछले चुनाव में आजसू ने पांच सीटे जीतने में कामयाब रही थी। बीजेपी से अलग होकर इस बार चुनाव उसने चुनाव में जाने का फैसला किया। इतना ही नहीं बीजेपी कुछ ज्यादा आत्मविश्वास में थी जिससे उसको नुकसान उठाना पड़ा है। जानकारी के मुताबिक लिहाजा कई सीटों पर आजसू बीजेपी का वोट काटने का काम किया है।

5- सरयू राय की बगावत भी बीजेपी को काफी भारी पड़ी है। उन्होंने चारा घोटाले को लेकर कई पर्दाफाश किया लेकिन इसके बावजूद मुख्यमंत्री रघुवर दास से उनके रिश्ते उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। इसके बाद सरयू राय को जब टिकट नहीं दिया गया और इतना ही नहीं उनको अलग-थलग करने की भी कोशिश की गई। सरयू राय की बगावत से जनता को गलत संदेश भी गया और उन्होंने सीएम रघुवर दास के खिलाफ जमशेदपुर से चुनावी मैदान में ताल ठोंक दी।

6-बीजेपी के अंदर ही उठापटक देखने को मिली। इस तरह से नेताओं के बीच तालमेल की कमी और असहयोग खूब देखने को मिला। टिकट को लेकर बीजेपी में खुलेआम बगावत हो गई। इतना ही नहीं बीजेपी से निकाले गए सभी नेता पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़े।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com