न्यूज डेस्क
झारखंड विधानसभा चुनावों की मतगणना जारी है। रुझान काफी तेजी से बदल रहे हैं। सभी 81 सीटों के रुझान आ गए है। कांग्रेस+ को 38 सीटों पर बढ़त मिलता दिख रहा है। वहीं भाजपा 33 सीटों पर आगे चल रही है। वहीं, अन्य भी 10 सीटों पर आगे चल रहे हैं। हेमंत सोरेन दोनों सीटों से आगे चल रहे हैं और जमशेदपुर पूर्व से सीएम रघुवर दास पीछे चल रहे हैं।
इस बीच बतौर मुख्यमंत्री रघुवर दास के सामने आज उस तिलिस्म को तोड़ने की चुनौती है, जिसे पिछले 19 सालों में झारखंड का कोई पूर्व मुख्यमंत्री नहीं तोड़ सका है। झारखंड में लोगों का मिजाज कुछ ऐसा रहा है कि जो नेता भी सीएम की कुर्सी पर विराजमान रहा, उसे कभी न कभी चुनाव में जनता ने हार का स्वाद चखाया है।
अब तक राज्य का कोई भूतपूर्व सीएम इस रिकॉर्ड को तोड़ नहीं पाया है। इसलिए रघुवर दास के सामने इस मिथक को तोड़ने की चुनौती है। बता दें कि जब रघुवर दास सीएम नहीं थे तो 2014 में वे जमशेदपुर पूर्व सीट से लगभग 70 हजार वोटों से विधानसभा चुनाव जीते थे।
झारखंड बने 19 साल गुजर चुके हैं। इस दौरान 3 बार विधानसभा चुनाव हुए और अस्थिरता के दौर से गुजरे झारखंड में 6 राजनेता मुख्यमंत्री बने। बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, मधू कोड़ा, हेमंत सोरेन और रघुवर दास को झारखंड का सीएम बनने का सौभाग्य मिला है। इस बार चौथी बार झारखंड विधानसभा के लिए चुनाव हो रहा है। जब 15 नवंबर 2000 को झारखंड का गठन हुआ था तो उस समय अविभाजित बिहार के विधानसभा चुनाव में जीते सदस्यों के सहारे ही झारखंड की पहली विधानसभा का गठन हुआ था।
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झारखंड के सभी पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, मधू कोड़ा, हेमंत सोरेन विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों का रिकॉर्ड देखें तो रघुवर दास के सामने जीत हासिल करने की विशाल चुनौती है। उनके सामने जमशेदपुर पूर्व सीट से उनके अपने ही मंत्रिमंडल के बागी नेता सरयू राय खड़े हैं। इसके अलावा कांग्रेस ने उनकी राहें मुश्किल करने के लिए पार्टी के तेज तर्रार प्रवक्ता गोपाल बल्लभ को मैदान में उतारा है।
हालांकि जमशेदपुर पूर्व सीट शहरी मतदाताओं का केंद्र रहा है और इसे बीजेपी का गढ़ माना जाता है। रघुवर दास इस सीट से 1995 से जीतते आ रहे हैं। उन्होंने लगातार 5 बार इस सीट से जीत हासिल की है, अब छठी बार वे इस सीट से भाग्य आजमा रहे हैं। रघुवर दास के सामने चुनौती न सिर्फ अपना सीट जीतने की है बल्कि बीजेपी को फिर से सत्ता में लाने की है।