न्यूज डेस्क
‘फर्जी पासपोर्ट की पहचान करने के लिए और पासपोर्ट के सिक्योरिटी फीचर्स को मजबूत करने के लिए कमल का निशान लगाया गया है। कमल राष्ट्रीय फूल का प्रतीक है। कमल के अलावा भी कई सारे चिन्ह हैं। बारी-बारी से दूसरे राष्ट्रीय चिन्हों का इस्तेमाल भी किया जाएगा। इनमें उन्हीं चिन्हों का इस्तेमाल होगा जो कि भारत से जुड़े हुए हैं। ICAO की गाइडलाइन्स के तहत ये बदलाव किया गया है।’
यह बयान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार का है। रवीश ने नए भारतीय पासपोर्टों पर कमल का निशान होने के बारे में सफाई देते हुए कहा। रवीश कुमार ने कमल को देश का राष्ट्रीय पुष्प बताया।
11 दिसंबर को पासपोर्ट पर कमल का मुद्दा लोकसभा में भी उठा था। कांग्रेस सांसद एमके राघवन ने इसे ‘भगवाकरण’ की ओर एक और कदम बताया और सरकार से सवाल किया।
इसके बाद विदेश मंत्रालय ने सफाई दी, मगर सवाल उठता है कि क्या कमल वाकई भारत का राष्ट्रीय फूल है? यह सवाल इसलिए क्योंकि इसी साल जुलाई माह में बीजू जनता दल के राज्यसभा सांसद प्रसन्न आचार्य ने सदन में इसी से जुड़े तीन सवाल पूछे थे। उन्होंने पूछा था कि भारत के राष्ट्रीय पशु, पक्षी और पुष्प कौन से हैं? दूसरा सवाल था कि क्या इस सम्बन्ध में भारत सरकार या किसी अन्य सक्षम प्राधिकरण द्वारा कोई अधिसूचना जारी की गई है? यदि हां, तो अधिसूचना का ब्योरा क्या है?
प्रसन्न आचार का तीसरा सवाल था-यदि नहीं, तो यूजीसी, एनसीईआरटी और भारत सरकार पोर्टल किस प्रावधान के अन्तर्गत राष्ट्रीय पशु, राष्ट्रीय पक्षी और राष्ट्रीय पुष्प के नाम प्रकाशित कर रहे हैं?
इन सवालों के जवाब में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने ये कहा था कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार ‘बाघ’ और ‘मोर’ को क्रमश: राष्ट्रीय पशु और राष्ट्रीय पक्षी के रूप में अधिसूचित किया गया है। वहीं राष्ट्रीय पुष्प के संबंध में कहा कि इसके बारे में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा ऐसी कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई है। राष्ट्रीय पुष्प के बारे में सम्बन्धित संगठनों से जानकारी एकत्रित की जा रही है और सदन के पटल पर रख दी जाएगी। “
गौरतलब है कि भारत सरकार से जुड़ी वेबसाइटों, एनसीईआरटी और यूजीसी के बेवसाइटों पर राष्ट्रीय पुष्प कमल बताया जाता है, लेकिन इस बारे में कुछ खास स्पष्टता नहीं है।
इसके अलावा वर्ष 2017 में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में आरटीआई एक्टिविस्ट और छात्रा ऐश्वर्या पराशर ने पर्यावरण और वन मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले बॉटैनिकल सर्वे ऑफ इंडिया से पूछा था कि क्या कमल को भारत का राष्ट्रीय पुष्प घोषित किया गया है?
इस सवाल के जवाब में उन्हें बताया गया था कि बॉटैनिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने कभी कमल को भारत का राष्ट्रीय पुष्प नहीं घोषित किया।
12 दिसंबर को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने अपनी प्रेस वार्ता में कहा, मैं ये भी बता दूं कि कमल के अलावा और भी राष्ट्रीय प्रतीक हैं जो बारी-बारी से इस्तेमाल किए जाएंगे। जैसे कि एक बाघ का सिंबल है। अभी कमल है तो अगले महीने कुछ और आएगा फिर कुछ और आएगा…ये सब प्रतीक बिना किसी निश्चित के आते रहेंगे। इसमें वो सारे वही प्रतीक हैं जो भारत से जुड़े हुए हैं। जैसे राष्ट्रीय पुष्प हो सकता है, राष्ट्रीय पशु हो सकता है। रवीश कुमार के अनुसार कमल भारत का राष्ट्रीय पुष्प है।
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