Friday - 25 October 2024 - 9:26 PM

क्या है पूर्वोत्तर राज्यों में लागू इनर लाइन परमिट नियम

न्यूज डेस्क

नागरिकता संशोधन बिल बुधवार को राज्यसभा में भी पास हो गया। इस बिल को लेकर कहीं जश्न का माहौल है तो कहीं जंग का। पूर्वोत्तर के कई राज्यों में इसका जबर्दस्त विरोध हो रहा है। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने साफ किया है कि इस बिल से किसी को कोई नुकसान नहीं होगा। फिलहाल अब यह बिल कानून बनने के लिए राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा।

इस बिल का पूर्वोत्तर के कई राज्यों में विरोध हो रहा है। लोग सड़क पर उतर गए है। कई जगह कर्फ्यू जैसे हालात हैं। हालांकि लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने साफ किया कि ये बिल अरूणाचल प्रदेश, मिजोरम, नागालैंड (दीमापुर को छोड़कर), त्रिपुरा (लगभग 70प्रतिशत) और लगभग पूरे मेघालय में लागू ही नहीं होगा। असम में बोड़ो, कार्बी और डिमासा इलाके संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत आते हैं, लिहाजा वहां भी ये कानून लागू नहीं होगा। इसके अलावा गृहमंत्री शाह ने ये भी साफ किया कि पूर्वोतर के जिन राज्यों में इनर लाइन परमिट व्यवस्था है, वहां नागरिकता संशोधन बिल लागू नहीं होगा।

अब सवाल उठता है कि ये इनर लाइन परमिट आखिर है क्या ? दरअसल इनर लाइन परमिट को सीधे शब्दों में कहें तो यह एक ऐसा दस्तावेज है जो किसी भारतीय नागरिक को ILP प्रणाली के तहत संरक्षित राज्य में जाने या रहने की अनुमति देता है।

तीन राज्यों में लागू है आईएलपी

फिलहाल पूर्वोत्तर के तीन राज्यों अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिजोरम में इनर लाइन परमिट लागू है। इन राज्यों में जाने के लिए ILP की जरूरत होती है। इसकी एक तय अवधि होती है। अवधि खत्म होने के बाद बाहरी नागरिक इन राज्यों में नहीं रह सकता।

इनर लाइन परमिट की अवधारणा ब्रिटिश सरकार के समय तैयार की गई थी। इनर लाइन परमिट ईस्टर्न फ्रंटियर विनियम 1873 के अंतर्गत जारी किया जाने वाला एक ट्रैवल डॉक्यूमेंट है।

जब ब्रिटिश सरकार ने यह नियम बनाया था तो उनका मकसद भारतीयों को इन क्षेत्रों में व्यापार करने से रोककर अपने व्यावसायिक हितों की रक्षा करना था। हालांकि आजादी के बाद वर्ष 1950 में भारत सरकार ने इसमें बदलाव किया। सरकार ने यह बदलाव स्थानीय आबादी को बड़े पैमाने पर पलायन के हमले से बचाने के लिए किया था। अब इस नियम के मुताबिक इन राज्यों में लंबे समय तक रहने वाले उन निवासियों को भी परमिट की जरूरत पड़ती है जो इन राज्यों में ‘मूलवासी’ नहीं हैं। ऐसे लोगों को अपने परमिट को हर छह महीनें में रिन्यू करवाना होता है।

कौन जारी करता है ILP कार्ड

ILP कार्ड संबंधित राज्य सरकार द्वारा जारी किया जाता है। यह ऑनलाइन या प्रत्यक्ष रूप से आवेदन करके प्राप्त किया जा सकता है। ILP कार्ड यात्रा की तारीखों को बताता है और राज्य में उन विशेष क्षेत्रों को भी निर्दिष्ट करता है जिन्हें ILP धारक यात्रा कर सकता है।

नागरिकता बिल लागू हो जाने पर क्या होगा

नागरिकता संशोधन बिल लागू हो जाने पर भी इनर लाइन परमिट वाले राज्यों में कोई असर नहीं पड़ेगा। नागरिकता संशोधन बिल के तहत लाभार्थी भारतीय नागरिक बन जाएंगे, लेकिन इन तीन राज्यों में बसने में सक्षम नहीं होंगे।

हालांकि अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड उन राज्यों में से है जो बांग्लादेश से आए प्रवासियों से ज्यादा प्रभावित नहीं है। वहीं मिजोरम ऐसा राज्य है जो बांग्लादेश के साथ एक सीमा साझा करता है। हालांकि जिन तीन राज्यों में सबसे ज्यादा प्रवास हुआ है, वे हैं असम, त्रिपुरा और मेघालय, जिनमें से किसी में भी ILP प्रणाली नहीं है।

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