जुबिली न्यूज़ डेस्क
लोकसभा में पास हुए नागरिकता संशोधन बिल पर बिहार में एनडीए में साथी जनता दल (यू) ने अपना समर्थन दिया था। लोकसभा में जदयू के कुल 16 सांसद हैं। जबकि राज्यसभा में जदयू के कुल 6 सांसद हैं।
लेकिन इस फैसले पर जदयू अब दो फाड़ होती नजर आ रही है। पहले पार्टी के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर और अब पवन वर्मा ने इस बिल को लेकर विरोध जताया है और नीतीश कुमार से फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है।
जदयू प्रवक्ता पवन कुमार वर्मा ने मंगलवार इस बारे में ट्वीट करते हुए लिखा, ‘मैं नीतीश कुमार से अपील करता हूं कि राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल पर समर्थन पर दोबारा विचार करें। ये बिल पूरी तरह से असंवैधानिक है और देश की एकता के खिलाफ है। ये बिल जदयू के मूल विचारों के भी खिलाफ हैं, गांधी जी इसका पूरी तरह से विरोध करते।’
I urge Shri Nitish Kumar to reconsider support to the #CAB in the Rajya Sabha. The Bill is unconstitutional, discriminatory, and against the unity and harmony of the country, apart from being against the secular principles of the JDU. Gandhiji would have strongly disapproved it.
— Pavan K. Varma (@PavanK_Varma) December 10, 2019
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प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर बिल का विरोध किया है
पवन वर्मा से पहले जदयू के उपाध्यक्ष और राजनीति रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर इस बिल का विरोध किया था। प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर लिखा था कि ‘जदयू के द्वारा नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन करना काफी निराशाजनक है। जदयू का इस मामले में समर्थन करना पार्टी के संविधान का भी उल्लंघन करता है और ये गांधी के विचारों के खिलाफ है।’
Disappointed to see JDU supporting #CAB that discriminates right of citizenship on the basis of religion.
It’s incongruous with the party’s constitution that carries the word secular thrice on the very first page and the leadership that is supposedly guided by Gandhian ideals.
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) December 9, 2019
बता दें कि लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पास हो गया है, माना जा रहा है कल बुधवार को ये बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। राज्यसभा में इस पर बहस के लिए 6 घंटे का समय अलॉट किया गया है।
इस बिल के अनुसार, पाकिस्तान-अफगानिस्तान-बांग्लादेश से आने वाले हिंदू, जैन, बौद्ध, ईसाई, सिख और पारसी नागरिकों को भारत में नागरिकता मिलने में आसानी होगी। विपक्ष इस बिल का विरोध कर रहा है और इसे भारत के संविधान के खिलाफ बता रहा है।
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