न्यूज डेस्क
विपक्ष के जोरदार विरोध के बावजूद सोमवार देर रात को लोकसभा ने नागरिकता संशोधन बिल, 2019 को पास कर दिया। करीब 7 घंटे तक चली तीखी बहस के बाद ये बिल पास हुआ, जिसे मोदी सरकार की बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। हालांकि, विपक्ष इसे भारत के लिए काला दिन बता रहा है। लोकसभा में तो बिल पास हो गया लेकिन अब राज्यसभा की बारी है।
बुधवार दोपहर दो बजे से इस बिल पर ऊपरी सदन में बहस शुरू होगी। बिल पर बहस के लिए 6 घंटे का समय अलॉट किया गया है। शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि उनकी पार्टी नागरिकता संशोधन बिल पर राज्यसभा में अलग विचार कर सकती है। बता दें कि लोकसभा में शिवसेना ने इस बिल के समर्थन में वोट दिया था।
गौरतलब है कि इस बिल के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान समेत आस पास के देशों से भारत में आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी धर्म वाले लोगों को नागरिकता दी जाएगी।
राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो लोकसभा में मोदी सरकार के पास बहुमत था, लेकिन अब इस बिल को लेकर असली परीक्षा राज्यसभा में होनी है। क्योंकि राज्यसभा में अभी भी विपक्ष मजबूत है और भाजपा कुछ कमजोर है। बुधवार को ये बिल राज्यसभा में आ सकता है, शिवसेना ने लोकसभा में तो बिल का समर्थन किया लेकिन क्या अब राज्यसभा में भी उसका रुख यही रहता है इसपर नजर रहेगी।
राज्यसभा में फिलहाल सदस्यों की कुल संख्या 239 है। मतलब ये कि अगर सदन के सभी सदस्य मतदान करें तो बहुमत के लिए 120 वोट की जरूरत पड़ेगी। अगर एनडीए के साथ उन दलों की बात करें जो एनडीए का सहयोग कर सकते हैं तो उनकी संभावित संख्या 114 बनती है। इनमें बीजेपी के 83, बीजेडी के 7, एआइएडीएमके के 11 और अकाली दल के 3 सदस्य शामिल हैं।
नागरिकता संशोधन विधेयक पर विपक्ष का जिस तरह से रुख है, ऐसे में सरकार को राज्यसभा में कड़ी चुनौती मिल सकती है। कांग्रेस के 46, टीएमसी के 13, सपा के 9, सीपीएम और डीएमके के 5-5 और आरजेडी, एनसीपी और बसपा के 4-4 सदस्यों समेत बाकी दलों को मिलाकर विपक्ष के पास कुल 108 सांसदों का समर्थन हासिल है।