Monday - 28 October 2024 - 7:51 PM

राहुल बजाज के उठाए सवालों पर उनके बेटे ने क्या कहा

न्यूज डेस्क

जरूरी नहीं है कि जैसी सोच पिता की हो वैसी ही बेटे की हो। बीते दिनों उद्योगपति राहुल बजाज ने गृहमंत्री अमित शाह के सामने कई सवाल उठाये जिसकी वजह से वह चर्चा में है। सोशल मीडिया पर तो राहुल बजाज की तुलना लोग सोल्जर से कर रहे हैं, लेकिन उनके बेटे राजीव बजाज जो बजाज ऑटो के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं, वह अपने पिता की सोच से इत्तेफाक नहीं रखते।

द इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक जब राजीव बजाज से यह पूछा गया कि राहुल बजाज की सरकार पर टिप्पणियों ने काफी ध्यान खींचा है, तो इसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘वह ऐसा मौका पसंद करते हैं, जबकि मैं कॉरपोरेट से जुड़े कार्यक्रम में कोई ऐसा संवेदनशील मुद्दा पसंद नहीं करता। वह हमेशा इसे लेकर निडर रहते हैं और लोग इसके लिए उन्हें पसंद करते हैं। हालांकि इसमें उन्हें किसी का साथ नहीं मिलता और लोग दूर से ही उनके लिए तालियां बजाते रहते हैं। ‘

राजीव बजाज और उनके पिता राहुल बजाज की कई बड़े मुद्दों पर राय अक्सर अलग होती है। हाल ही में ईटी अवॉर्ड्स में राहुल बजाज की टिप्पणियों ने सुर्खियां बटोरीं, लेकिन इससे उनके बेटे राजीव खुश नहीं हैं।

राजीव बजाज ने यह भी कहा कि हमारा बिजनेस ऐसा नहीं है, जिसके लिए हमें सरकार से बहुत अधिक बातचीत करनी पड़े। उन्होंने बताया कि वे हाल ही में नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत के साथ बातचीत की है। वे नितिन गडकरी और पीयूष गोयल से भी पहले मिले हैं।

राजीव का कहना है कि ‘ये सभी लोग जानते हैं कि मेरे इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी जैसे विशेष मुद्दों पर उनके साथ मतभेद रहे हैं।’
हालांकि खुद राजीव फरवरी 2017 में मुंबई में नैस्कॉम के एक इवेंट में नोटबंदी को लेकर सरकार की आलोचना कर चुके हैं।

इस पर उनका कहना है, ‘मैंने इसका इस्तेमाल एक आइडिया के नाकाम होने और उसे लागू करने के बीच के अंतर के उदाहरण के तौर पर दिया था, लेकिन इसकी गलत व्याख्या कर इसे नोटबंदी की बुराई कहा गया। उन्होंने कहा कि मेरे बहुत से शुभचिंतकों ने मुझे चेतावनी दी थी कि इससे मुझे और बजाज ऑटो को मुश्किल हो सकती है। कुछ लोगों ने यहां तक कहा था कि सरकार हमारी क्वाड्रिसाइकिल को स्वीकृति नहीं देगी, लेकिन जो हुआ वह इसके उलट था। मैंने नितिन गडकरी और अमिताभ कांत से मिलने का समय मांगा और उन्होंने मेरी बात को ध्यान से सुना और हमें एक वर्ष के अंदर स्वीकृति मिल गई जो सरकार के पास आठ वर्षों से अटकी थी।’

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