राजीव ओझा
मुला ई का होइ ग…बाराबंकी मा एक और अमिताभ बच्चन। बाराबंकी और बिग बी में पिछले जनम का कुछ रिश्ता जरूर है। किसी न किसी रूप में अमिताभ बच्चन का नाम बाराबंकी से जुड़ ही जाता है। कुछ वर्षों पहले अमिताभ ने बाराबंकी में कुछ खेत खरीदने में रूचि दिखाई थी लेकिन इसको लेकर विवाद खडा हो गया तो अमिताभ बच्चन ने मलीहाबाद में किसानी के उद्देश्य से थोड़ी जमीन खरीद ली।
अब खबर आई कि अमिताभ बच्चन का नाम किसान सम्मान निधि सूची में भी है। तो क्या अमिताभ को भी किसान सम्मान निधि से पैसा चाहिए? बिलकुल चाहिये, किसान जो ठहरे। चौंक गए न! इसके पहले कि आप बिग बी के बारे में ऐसा वैसा सोचें, स्पष्ट कर दें कि इसमें बिग बी बोले तो मुम्बई वाले अमिताभ बच्चन की कोई भूमिका नहीं है। न ही उन्हें इसकी कोई जानकारी होगी। दरअसल सारा कन्फ्युजन बाराबंकी के अमिताभ को लेकर था।
अमिताभ अमजदूरी करने अरब गए
बाराबंकी अमिताभ बच्चन का नाम किसान सम्मान निधि की पात्रता सूची में आते ही प्रशासन के साथ-साथ कृषि विभाग के अफसरों में भी हड़कंप मचा दिया। आधार कार्ड नंबर में गलती होने की वजह से अमिताभ बच्चन को किसान प्रोत्साहन राशि से भी सम्मान नही मिल सका लेकिन सदी के महानायक के नाम से पहचान मिली जसमंडा गांव में किसान अमिताभ बच्चन को देखने के लिए लोगों का आना शुरू हो गया। लेकिन अमिताभ बच्चन मजदूरी के लिए अरब देश हुए थे।
दरअसल बाराबंकी में प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत अमिताभ बच्चन का नाम सूची में नाम दर्ज होने के बाद सूची वायरल हो गई। वायरल सूची में जिले के जिस बंकी ब्लॉक अंतर्गत शुक्लाई ग्राम पंचायत में अमिताभ बच्चन की लिस्ट वायरल हुई वास्तव में उस गांव में अमिताभ बच्चन नाम का कोई भी व्यक्ति नही मिला। जिसके चलते यहां के ग्रामीणों के साथ ग्राम प्रधान रामसिंह भी काफी परेशान दिखे। उन्होंने इसे पूरी तरह से फर्जीवाड़ा बताते हुए राजस्व और कृषि विभाग की सत्यापन रिपोर्ट पर सवालिया निशान लगा दिए।
अमिताभ के दो छोटे बच्चे भी हैं
इस पर राजस्व विभाग ने दूसरे ग्राम पंचायत के जसमन्डा गांव में अमिताभ बच्चन के परिवार को खोज निकाला लेकिन वहां अमिताभ बच्चन नही मिले। लेकिन उनके परिजनों से जानकारी जरूर मिली कि वो रोजगार के सिलसिले से सऊदी गए हैं। जांच करने पहुँचे राजस्व कर्मियों को देखकर परिवार काफी डरा सहमा रहा। बाराबंकी के इन अमिताभ बच्चन के पिता का नाम हरिनाम हैं और इनके परिवार में दो छोटे बच्चे भी हैं अमिताभ बच्चन का बैंक आफ इंडिया की शाखा हंडोरी में खाता भी खुला हैं , जब मामला अमिताभ बच्चन के नाम से बैंक मैनेजर दीपक मिश्रा के पास आया तो वो समझ गए की उनकी बैंक में मामला उन्ही अमिताभ बच्चन का हैं जो इनदिनों सुर्खियों में छाए हुए हैं।
अपर जिलाधिकारी संदीप गुप्ता ने बताया कि अमिताभ बच्चन के नाम के एक सज्जन हैं जिनके पिता हरिनाम हैं। फिलहाल राजस्व विभाग और उप कृषि निदेशक मामले में जांच पड़ताल कर रहे हैं की आख़िर सुकलाई ग्राम पंचायत की लिस्ट में अमिताभ बच्चन का नाम कैसे चढ़ा?
अमिताभ के नाम में कुछ तो है।
किसान सम्मान निधि से किसानों को हर साल छह हजार रूपये मिलते हैं। बाराबंकी के ग्राम पंचायत पल्हरी के गाँव शुक्लाई की सूची में अमिताभ बच्चन का नाम 1992 नम्बर पर दर्ज है। अभी यह नहीं पता चल सका है कि त्रुटीवश यह नाम सूची में कैसे आ गया। अब इसकी जाँच की जा रही है ।
अमिताभ बच्चन 77 की उम्र में भी सिल्वरस्क्रीन पर काफी सक्रिय हैं। हालाँकि अब उन्होंने घोषणा की है की कौन बनेगा करोड़पति के अगले सीजन में वह इस शो की एंकरिंग नहीं करेंगे। ऐसे में बाराबंकी में अमिताभ का नाम आने से लोग चौंकेगे जरूर। किसान सम्मान निधि योजना भारत के किसानों के लिए है और इसका उद्देश्य किसानो की आर्थिक मदद करना है| इस स्कीम के तहत देश के 14.5 करोड़ किसानों को हर साल 2-2 की 3 किस्तें मिलती हैं।
साल में हर लाभार्थी किसान को 6 हजार रूपया सरकार द्वारा दिया जाएगा। यह योजना भारत के किसानों को कृषि उपकण, बीज, खाद आदि खरीदने में मदद के लिए है। लाभार्थी किसान को 6 हजार रूपया सरकार द्वाउनके बैंक खाते में सीधे ट्रांसफर करती है। 1 फरवरी 2019 को भारत के 2019 अन्तरिम केंद्रीय बजट के दौरान पीयूष गोयल ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का प्रावधान किया था। इस योजना के लिये आवेदन करे वाले किसान को खसरा खतौनी की नकल या किसान क्रेडिट कार्ड के साथ ही बैंक पासबुक और आधार कार्ड की कापी प्रस्तुत करनी होती है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
यह भी पढ़ें : संस्कृत को खतरा फिरोज खान से नहीं “पाखंडियों” से
यह भी पढ़ें : अयोध्या पर अब राजनीति क्यों !
यह भी पढ़ें : सोशल मीडिया सिर्फ मजा लेने के लिए नहीं
यह भी पढ़ें : “टाइगर” अभी जिन्दा है
यह भी पढ़ें : नर्क का दरिया है और तैर के जाना है !
यह भी पढ़ें : अब भारत के नए नक़्शे से पाक बेचैन
यह भी पढ़ें : आखिर क्यों यह जर्मन गोसेविका भारत छोड़ने को थी तैयार
यह भी पढ़ें : इस गंदी चड्ढी में ऐसा क्या था जिसने साबित की बगदादी की मौत