स्पेशल डेस्क
मुम्बई। महाराष्ट्र में हर दिन सियासी ड्रामा देखने को मिल रहा है। अचानक से राष्ट्रपति शासन हटा और बीजेपी ने अजित पवार की मदद से वहां पर दोबारा सत्ता हासिल कर ली है। इसके बाद पूरा मामला कोर्ट जा पहुंचा है और सोमवार को इस मामले में सुनवाई होगी। इसके बाद से लगातार शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस एक जुट होने का दावा कर रहे हैं।
कभी शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे सभी विधायकों के साथ मिलकर बैठक कर एकजुट होने की बात कह रहे तो दूसरी कांग्रेस और एनसीपी भी अपने सभी विधायकों से मिलकर उन्हें साथ रखने की पूरी कोशिश कर रहे हैं लेकिन तीनों दलों को भीतरघात का डर भी लग रहा है। इस वजह से तीनों दल अपने विधायकों को बचाने के लिए अलग-अलग होटलों में ठहरा रहे हैं। हालांकि सियासत में कौन किधर चला जाये यह कहना बेहद मुश्किल है। इतना ही नहीं विधानसभा में विश्वासमत के दौरान कुछ विधायक पाला बदल सकते हैं।
इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता है। कांग्रेस की माने तो विश्वासमत के दौरान कोई भी विधायक पाला बदल सकता है। इसका उदाहरण कर्नाटक में देखने को मिल चुका है। कर्नाटक में अयोग्य ठहराए गए कांग्रेस-जेडीएस के विधायकों को भाजपा ने चुनाव में टिकट थमा दिया था।
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कांग्रेस चाहती है कि विधानसभा में विश्वासमत के दौरान वोटिंग की वीडियोग्राफी भी की जाए, ताकि ये पता लग सके किसने ऐन वक्त पर पाला बदला है साथ यह भी पता लगें कि कितने विधायकों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। उन विधायकों के खिलाफ कांग्रेस कड़ी कार्रवाई कर सकेंगी। उधर एनसीपी ने दावा किया उसके पास अब भी 49 विधायक हैं, बाकी के लौटने की उम्मीद है। अब देखना होगा सोमवार को सुप्रीम कोर्ट इस पूरे मामले कौन सा फैसला सुनाती है।