न्यूज डेस्क
एनसीपी प्रमुख शरद पवार को महाराष्ट्र की सियासत भीष्म पितामाह कहा जाता है। अपने अनुभव से शरद पवार किसी की भी सरकार बना सकते हैं, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण उन्होंने शिवसेना के साथ एनसीपी और कांग्रेस का गठबंधन करके दिखा दिया है। खबरों की माने तो 16 नवंबर को तीनों दल राज्यपाल के पास जाकर सरकार बनाने का दावा करेंगे और 17 नवंबर को इस बात की घोषणा करेंगे। हालांकि अभी तक इस बात का औपचारिक एलान नहीं हुआ है।
लेकिन आज सुबह प्रेस वार्ता में शरद पवार ने इस बात के संकेत दिए कि महाराष्ट्र में लगा राष्ट्रपति शासन जल्द हटेगा और शिवेसना के साथ एनसीपी–कांग्रेस गठबंधन मिलकर सरकार बनाएगी। हालांकि, पवार ने सरकार बनाने पर सहमति मुद्दे के स्थान पर किसानों की हालात पर ज्यादा खुल कर चर्चा की। बताया जा रहा है कि सरकार बनाने के लिए जो कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तैयार किया गया है, उसमें किसानों को प्रमुखता दी गई है।
एनसीपी प्रमुख और पूर्व सीएम ने कहा, ‘अतिवृष्टि के कारण संतरे को बहुत नुकसान हुआ है। संतरा किसानों से मैंने खुद निजी तौर पर चर्चा की है। 60 से 70 फीसदी तक उनकी फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है। संतरा उत्पादक बहुत बड़े संकट से गुजर रहे हैं। महाराष्ट्र में किसानों की हालत दयनीय है और जो बची हुई फसल है उनमें भी घुन लगने की आशंका है।’
संतरे के साथ उन्होंने सोयाबीन किसानों की परेशानी का मुद्दा उठाया। पवार ने कहा, ‘सोयाबीन की फसल और किसानों से मिलकर मैंने गंभीर चर्चा की है। सोयाबीन की 33 फीसदी से अधिक फसल बर्बाद हो चुकी है। मैं खुद 10-12 गांवों में जाकर हालात का जायजा ले चुका हूं। मौसमी और धान की फसल को भी भयानक नुकसान हुआ है।’
उन्होंने कहा कि वह निजी तौर पर नागपुर और प्रदेश के किसानों से मिले हैं। किसानों के फसल को काफी नुकसान हुआ है और यह अभूतपूर्व हानि है। उन्होंने केंद्र सरकार से भी किसानों को तत्काल सहायता देने की मांग की।
गौरतलब है कि एनसीपी प्रुमख महाराष्ट्र चुनावों के वक्त से ही प्रदेश में किसानों का मुद्दा उठा रहे हैं। लेकिन ऐसे समय जब सबसे ज्यादा जरूरी महाराष्ट्र में एक स्थिर सरकार देना है उस समय शरद पवार किसानों के हितैशी बनने का काम कर रहे हैं। जिसको लेकर राजनीतिक गलियारों में सवाल उठने खड़े हो गए हैं।
राजनीतिक जानकारों की माने तो सरकार बनाने को लेकर चल रही हलचलों के बीच किसानों के मुद्दे को उटाकर पवार अपने मतदाता वर्ग को संतुष्ट करना चाह रहे हैं। एनसीपी प्रमुख राजनीति से इतर किसानों को अपनी प्राथमिकता सूची में रखने का संदेश देना चाहते हैं।