न्यूज डेस्क
70 साल से लंबित राजनीतिक रूप से संवेदनशील रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आ चुका है। इस फैसले को सुनाने वाले पांचों जजों की सराहना हो रही है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के पांचों जजों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
रविवार को एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एहतियातन इन जजों की सुरक्षा में अतिरिक्त जवानों की तैनाती की गई है। हालांकि सीजेआई समेत किसी अन्य जस्टिस को लेकर कोई विशेष खतरा नहीं है।
अयोध्या मामले का फैसला सुनाने वाली पीठ में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस शरद अरविंद बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा ड्रिल के तहत अतिरिक्त जवानों को इन जजों के आवासों पर तैनात किया गया है।
इसके अलावा इन सभी जजों के आवासों की ओर जाने वाली सड़कों पर कुछ बेरिकैड लगाए गए हैं। अभी तक जजों के आवास पर गार्ड और अचल सुरक्षा थी। अब इनकी सुरक्षा में मोबाइल कंपोनेट को जोड़ा गया। साथ ही जजों के वाहनों के साथ अब सशस्त्र गार्डों से लैस एस्कार्ट वाहन भी रहेंगे।
गौरतलब है कि 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में विवादित ढांचे की जमीन हिन्दुओं को सौंपने का आदेश दिया, और केंद्र सरकार से तीन महीने के भीतर मंदिर के लिए ट्रस्ट गठित करने को कहा है। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि मस्जिद के लिए केन्द्र या राज्य सरकार अयोध्या में ही सूटेबल और प्रॉमिनेंट जगह जमीन दे।
सुप्रीम कोर्ट (पांचों जजों की सहमति से फैसला) ने कहा- 2.77 एकड़ जमीन हिन्दुओं के पक्ष में। केंद्र सरकार तीन महीने के भीतर मदिर के लिए ट्रस्ट बनाएगी, ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़ा का प्रतिनिधि भी रहेगा। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा, फिलहाल अधिग्रहीत जगह का कब्जा रिसीवर के पास रहेगा। सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ ज़मीन मिलेगी।
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