न्यूज़ डेस्क
अयोध्या पर सबसे बड़ा फैसला आज यानी शनिवार को आएगा। इस फैसले के आने का काउंटडाउन शुरु हो चूका है। इसी के साथ आज का दिन इतिहास में दर्ज हो जायेगा। वर्षों से चल रहे इस मामले की अंतिम सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चालीस दिनों में पूरी की है। 40 दिन की बहस के बाद अब पूरा देश की नजरें आज आने वाले फैसले पर टिकी हुई है।
वहीं, चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में पांच जजों की पीठ ऐतिहासिक फैसला सुनाएगी। साथ ही ये पीठ भी इतिहास में अपना नाम दर्ज करवाएगी। आइए जानते है इस मामले में सुनवाई करने वाले जजों के बारे में।
सीजीआई जस्टिस रंजन गोगोई
इस पीठ की अगुवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई कर रहे हैं। उन्होंने तीन अक्टूबर 2018 को बतौर मुख्य न्यायधीश पदभार ग्रहण किया था। उन्होंने 1978 में बार काउंसिल ज्वाइन किया। अपने पेशे की शुरुआत गुवाहाटी हाई कोर्ट से की, 2001 में गुवाहाटी हाई कोर्ट में जज भी बने।
बतौर चीफ जस्टिस अपने कार्यकाल में कई ऐतिहासिक मामलों को सुना है। इनमे अयोध्या केस, NRC, जम्मू-कश्मीर पर याचिकाएं जैसे केस शामिल हैं।
जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े
इस पीठ में दूसरे जज जस्टिस एस. ए. बोबड़े हैं। जोकि रंजन गोगोई के बाद अगले चीफ जस्टिस होंगे। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 1978 में बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र को ज्वाइन कर की थी। इसके बाद बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में लॉ की प्रैक्टिस की, 1998 में वरिष्ठ वकील भी बने।
साल 2000 में उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में बतौर एडिशनल जज पदभार ग्रहण किया। इसके बाद वह मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने और 2013 में सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज कमान संभाली। जस्टिस एस. ए. बोबड़े 23 अप्रैल, 2021 को रिटायर होंगे।
जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज का पदभार संभाला था। सुप्रीम कोर्ट में आने से पहले वो इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस थे। वहीं, बॉम्बे हाई कोर्ट में भी वह बतौर जज रह चुके हैं।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ जज नियुक्त होने से पहले देश के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल भी रह चुके हैं। वह सबरीमाला, भीमा कोरेगांव, समलैंगिकता समेत कई बड़े मामलों में पीठ का हिस्सा रह चुके हैं।
जस्टिस अशोक भूषण
उत्तर प्रदेश के जौनपुर में जन्मे जस्टिस अशोक भूषण ने साल 1979 में यूपी बार काउंसिल का हिस्सा बने। इसके बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस की। इसके अलावा उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट में कई पदों पर काम किया और वो 2001 में बतौर जज नियुक्त हुए। 13 मई 2016 को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में कार्यभार संभाला।
जस्टिस अब्दुल नज़ीर
जस्टिस अब्दुल नज़ीर ने 1983 में वकालत की शुरुआत उन्होंने कर्नाटक हाई कोर्ट से की। इसके बाद उन्होंने वहां एडिशनल जज और परमानेंट जज के तौर पर कार्य किया। 17 फरवरी, 2017 को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज कार्यभार संभाला।