सुरेंद्र दुबे
लगता है भारतीय राजनीति के चाणक्य समझे जाने वाले केंद्रीय मंत्री अमित शाह का जादू इस बार नहीं चल पा रहा है। वर्ना 13 दिन बाद भी भाजपा की सरकार न बनें, ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है। शिवसेना को तोड़ने और मनाने की सारी कोशिशें जब बेकार हो गईं तो केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को मैदान में उतार दिया गया।
फॉर्मूला बना कि देवेंद्र फडणवीस के बजाए नितिन गडकरी को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी जाए तो शायद शिवसेना अपनी हठधर्मिता से पीछे हट जाए, पर ऐसा नहीं हुआ। नितिन गडकरी खुद पीछे हट गए और मुख्यमंत्री से इनकार कर दिया। क्योंकि उन्हें इस बात का पूरा आभास था कि शिवसेना उनके दबाव में भी पीछे नहीं हटेगी।
आइए वरिष्ठ बीजेपी नेता और राज्य के निवर्तमान वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के कुछ रोचक बयान देखें, जिससे बदले हुए मौसम का पता चलेगा।
- देवेंद्र फडणवीस को शिवसैनिक मानते हैं उद्धव ठाकरे
- देवेंद्र फडणवीस के रूप में शिवसेना का सीएम होगा
- शिवसेना के विधायक नहीं तोडेंगे
अब इन तीनों बयानों को देखने से पता चलता है कि भाजपा के गुब्बारे की हवा धीरे-धीरे निकल रही है। वर्ना मुनगंटीवार ये न कहते कि देवेंद्र फडणवीस को शिवसैनिक मानते हैं उद्धव ठाकरे। बयान में एक निवेदन निहित है कि हे उद्धव देवेंद्र फडणवीस को शिवसैनिक मानते हुए ही मुख्यमंत्री बन जाने दें। अब अगर उद्धव ठाकरे देवेंद्र फडणवीस को शिवसैनिक मान लें तो अपने पुत्र आदित्य ठाकरे को क्या भाजपा में भेज दें।
मुनगंटीवार का दूसरा बयान रहस्यवाद की चादर में लपटा हुआ है, जिसमें वो कहते हैं कि देवेंद्र फडणवीस के रूप में शिवसेना का सीएम होगा। अब इसका क्या अर्थ लगाया जाए। क्या वह ये कहना चाहते हैं कि भाजपा देवेंद्र फडणवीस की इज्जत बचाने के लिए उन्हें शिवसेना में शामिल करा कर भी मुख्यमंत्री बनाना चाहती है।
उनका तीसरा बयान दर्शाता है कि शिवसेना को तोड़ने की कोई चाणक्य नीति चल नहीं पा रही है। इसलिए वो कह रहे हैं कि भाजपा शिवसेना के विधायक नहीं तोड़ेगी। जबकि पिछले हफ्ते भाजपा कई बार दावा कर चुकी है कि शिवसेना के तमाम विधायक उनके संपर्क में हैं। अब अगर संपर्क में होते तो किसके डर से नहीं टूटे। अब जब सारे तिकड़म फेल हुए से लग रहे हैं। भाजपा सिर्फ यह नहीं स्पष्ट कर पा रही है कि वह बगैर शिवसेना के भी सरकार बनाने के लिए उतावली है।
कल से राजनैतिक उठापटक और तेज हो गई है। आज शिवसेना के विधायकों की बैठक उद्धव ठाकरे के आवास पर हुई। जिसमें सभी विधायकों ने मुख्यमंत्री पद और सरकार बनाने का फैसला उद्धव ठाकरे पर छोड़ दिया। इस दौरान खास बात ये रही कि तू डाल-डाल, मैं पात-पात की चतुराई का परिचय देते हुए शिवसेना के विधायकों के मोबाइल फोन मातोश्री में रखवा लिए थे, ताकि भाजपा के लोग उनसे संपर्क न कर सकें।
यानी कि शिवसेना भाजपा नेता मनगंटीवार के इस बयान पर विश्वास करने को तैयार नहीं हैं कि शिवसेना के विधायकों को तोड़ने की कोशिश नहीं होगी। खबर यह भी है कि बैठक के बाद शिवसेना विधायकों को किसी रिजार्ट या होटल में शिफ्ट कर दिया जाएगा। ताकि किसी दबाव में शिवसैनिक अपनी निष्ठा न बदलने पाएं।
महाराष्ट्र की राजनीति और सरकार बनने के पूर्व का दृश्य काफी रहस्यमय हो गया है। शिवसेना को भले विश्वास हो कि हर हाल में उनका ही मुख्यमंत्री बनेगा। लेकिन अमित शाह की सरकार बनाने के मामले में अभी तक जो किलर स्ट्रिंक्ट रही है उसे देखते हुए लोग ये मानने को तैयार नहीं हैं कि अमित शाह शिवसेना का मुख्यमंत्री बनने देंगे। महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री अमित शाह दोनों की रंगबाजी दांव पर है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)
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