न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। सूचना के अधिकार (RTI) से खुलासा हुआ है कि बीते पांच वित्तीय वर्षों के दौरान विलय या शाखाबंदी की प्रक्रिया से सार्वजनिक क्षेत्र के 26 सरकारी बैंकों की कुल 3,427 बैंक शाखाओं का मूल अस्तित्व प्रभावित हुआ है।
खास बात यह है कि इनमें से 75 प्रतिशत शाखाएं देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की हैं। इस दौरान SBI में इसके पांच सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक का विलय हुआ है।
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यह जानकारी ऐसे वक्त सामने आई है, जब देश के 10 सरकारी बैंकों को मिलाकर इन्हें चार बड़े बैंकों में तब्दील करने की सरकार की नई योजना पर काम शुरू हो चुका है।
RTI कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से जो जानकारी हासिल की उसके मुताबिक, देश के 26 सरकारी बैंकों की वित्तीय वर्ष 2014-15 में 90 शाखाएं, 2015-16 में 126 शाखाएं, 2016-17 में 253 शाखाएं, 2017-18 में 2,083 बैंक शाखाएं और 2018-19 में 875 शाखाएं या तो बंद कर दी गईं या इन्हें दूसरी बैंक शाखाओं में मर्ज कर दिया गया।
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RTI अर्जी पर मिले जवाब के अनुसार बीते पांच वित्तीय वर्षों में विलय या बंद होने से SBI की सर्वाधिक 2,568 बैंक शाखाएं प्रभावित हुईं। RTI कार्यकर्ता ने सरकारी बैंकों की शाखाओं को बंद किए जाने का सबब भी जानना चाहा था, लेकिन उन्हें जवाब नहीं मिला।
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इनका हुआ है विलय
RBI ने बताया कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के साथ भारतीय महिला बैंक, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला और स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर का विलय एक अप्रैल 2017 से प्रभावी हुआ था। इसके अलावा, बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक और देना बैंक का विलय 1 अप्रैल 2019 से अमल में आया था।