न्यूज डेस्क
कुछ भारतीय पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी हो रही है, इसकी जानकारी भारत सरकार को सितंबर माह में ही हो गई थी। दरअसल व्हाट्सएप ने केन्द्र सरकार को लिखित में सितंबर माह में भारतीय अधिकारियों को इस बात की जानकारी दी थी कि इजरायली कंपनी एनएसओ के पेगासस स्पाइवेयर ने 121 भारतीयों की सुरक्षा में सेंध लगाई है।
जब 29 अक्टूबर को व्हाट्सएप ने अमेरिकी कोर्ट में इसका खुलासा किया था तो सनसनी मच गई थी। भारत सरकार ने भी गंभीरता दिखाते हुए इसके संबंध जानकारी मांगी। फिलहाल इस मामले से जुड़े सूत्रों के मुताबिक सरकार को इसकी जानकारी पहले से थी।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस संख्या की पुष्टि नहीं की जा सकी है लेकिन ऐसा पता चला है कि इस संख्या में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
व्हाट्सएप के सूत्रों का कहना है कि मई से लेकर अब तक इस मामले में एक बार भी सीधे उनसे कुछ नहीं पूछा। उस समय उन्होंने हमारे मैसेज का जवाब नहीं दिया और उन्होंने कोई जानकारी भी नहीं मांगी।
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इस मुद्दे पर व्हाट्सएप से चार नवंबर तक जवाब मांगा था। इसके बाद एक नवंबर की रात को व्हाट्सएप के एक प्रवक्ता ने सरकार के अनुरोध के जवाब में कहा कि उसने पेगासस स्पाइवेयर से लोगों के फोन की जासूसी किए जाने के मामले में संबंधित भारतीय और अंतरराष्ट्रीय अधिकारियों को मई 2019 में सूचित किया था।
इस बयान में कहा गया है कि, ‘मई में हमने बहुत ही जल्द सुरक्षा से जुड़े एक मामले को हल किया था और संबंधित भारतीय और अंतरराष्ट्रीय सरकारी अधिकारियों को सूचित किया था। उसके बाद से हमने शिकार हुए यूजर्स की पहचान करने के लिए काम किया है और अमेरिकी न्यायालयों को एनएसओ समूह के रूप में जानी जाने वाली अंतरराष्ट्रीय स्पाइवेयर कंपनी को जवाबदेह ठहराने के लिए कहा है।’
प्रवक्ता के मुताबिक, ‘भारत सरकार से हम सहमत हैं कि सुरक्षा को कमजोर करने का प्रयास करने वाले हैकर्स से यूजर्स को बचाने के लिए हम मिलजुल कर प्रयास करें। व्हाट्सएप अपने द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवा के माध्यम से सभी उपयोगकर्ता संदेशों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।’
वहीं, व्हाट्सएप के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कुछ पत्रकारों और समाचार एजेंसी से केंद्र सरकार के कुछ सूत्रों ने कहा कि वॉट्सऐप ने जो सूचनाएं दी थीं वे बहुत ही तकनीकी थीं। उनमें डेटा चोरी करने या पेगासस का उल्लेख नहीं था।
सरकार के बयान के अनुसार, ‘व्हाट्सएप ने मई में सीईआरटी-आईएन को जानकारी दी थी। यह पेगासस या डेटा में सेंध लगाने के किसी भी उल्लेख के बिना शुद्ध तकनीकी था। साझा की गई जानकारी केवल एक तकनीकी खामी के बारे में थी लेकिन इस तथ्य के बारे में कुछ भी नहीं था कि भारतीयों की गोपनीयता से समझौता किया गया था।’
वरिष्ठ पत्रकारों को दी गई जानकारी में सीईआरटी-आईएन को भेजी गई व्हाट्सएप की एक रिपोर्ट की तस्वीर भी थी। बता दें कि, सीईआरटी-आईएन एक केंद्रीय एजेंसी है जो हैकिंग से जुड़े मामलों को देखती है। एक समाचार एजेंसी के मुताबिक सरकार के सूत्रों ने आगे कहा कि उस तस्वीर में भारतीय नागरिकों को किसी खास खतरे का कोई उल्लेख नहीं था।
बता दें कि, फेसबुक के स्वामित्व वाले प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप ने बीते सप्ताह एक चौंकाने वाले खुलासे में कहा था कि भारत में आम चुनाव के दौरान पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर निगरानी के लिए इजरायल के स्पाइवेयर पेगासस का उपयोग किया गया।
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