न्यूज डेस्क
कुछ भारतीय पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी कराने के व्हाट्सएप के खुलासे के बाद भारत में संग्राम छिड़ा हुआ है। भारत सरकार ने भी इसे गंभीरता से लिया है और इसके संबंध में जानकारी मांगी है।
फिलहाल अभी तक सामने आई रिपोर्ट के अनुसार जिन लोगों के व्हाट्सएप की हैकिंग हुई है या जासूसी हुई है उनमें मुख्य रूप से पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील हैं। ये लोग आदिवासियों और दलितों के लिए अदालत में सरकार से लड़ रहे थे या उनकी बात कर रहे थे।
व्हाट्सएप ने यह जानकारी 29 अक्टूबर को अमेरिकी कोर्ट में दी थी। दी गई जानकारी के अनुसार एक इजरायली फर्म ने एक स्पाइवेयर (जासूसी वाले सॉफ्टवेयर) के जरिए भारतीय यूजर्स की जासूसी की है।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस संबंध में व्हाट्सएप से जानकारी मांगी है। अब तक जो रिपोर्ट सामने आई है, उसके अनुसार भारत के 10 सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इइसकी पुष्टि की है कि उनकी जासूसी हुई है। यह बात उन्होंने व्हाट्सएप के हवाले से कही है।
जिन लोगों की जासूसी हुई है उनमें बेला भाटिया, भीमा कोरेगांव केस में वकील निहाल सिंह राठौड़, जगदलपुर लीगल एड ग्रुप की शालिनी गेरा, दलित एक्टिविस्ट डिग्री प्रसाद चौहान, आनंद तेलतुम्बडे, शुभ्रांशु चौधरी, दिल्ली के आशीष गुप्ता, दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर सरोज गिरी, पत्रकार सिद्धांत सिब्बल और राजीव शर्मा के नाम भी शामिल हैं।
कौन से सॉफ्टवेयर का हुआ इस्तेमाल
मालूम हो कि इजरायल की कंपनी एनएसओ ग्रुप पर इस जासूसी का आरोप लगा है। खबर है कि कंपनी ने इसके लिए क्कद्गद्दड्डह्यह्वह्य नाम के स्पाईवेयर (सॉफ्टवेयर) का इस्तेमाल किया है। इस सॉफ्टवेयर के जरिए दुनियाभर के करीब 1,400 लोगों को शिकार बनाया गया है।
बताते चले कि साल 2016 में पिगासस सॉफ्टवेयर उस समय चर्चा में आया था जब एंटी वायरस सॉफ्टवेयर और सिक्योरिटी फर्म kaspersky4 ने अपने ब्लॉग पोस्ट में कहा था कि पिगासस एक बहुत ही बड़ा जासूसी सॉफ्टवेयर है और इसकी मदद से आईफोन-आईपैड से लेकर किसी भी एंड्रॉयड फोन को हैक किया जा सकता है।
इस सॉफ्टवेयर के जरिए किसी भी फोन पर 24 घंटे नजर रखी जा सकती है। खास बात यह है यूजर्स को इसकी भनक भी नहीं लगती कि उसके फोन में कोई जासूसी एप या सॉफ्टवेयर है। पिगासस सॉफ्टवेयर के जरिए किसी भी फोन को पूरी तरह से कब्जे में लिया जा सकता है। इस सॉफ्टवेयर के जरिए जासूसी करने के लिए लोगों को वीडियो कॉल किए गए।
एमपी हनीट्रैप में भी पिगासस साफ्टवेयर का हुआ था इस्तेमाल
मालूम हो कि मध्य प्रदेश प्रदेश के चर्चित हनीट्रैप कांड में भी पिगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल हुआ था। रिपोर्ट के मुताबिक बंगलूरू की एक कंपनी ने नेताओं और अफसर के फोन टैपिंग के लिए पिगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करती थी। यह सॉफ्टवेयर फोन में छिपकर कॉल रिकॉर्डिंग, वॉट्सएप चैटिंग, एसएमएस के साथ अन्य चीजों की सर्विलांस आसानी से कर सकता है।
गौरतलब है कि Pegasusअटैक में हैकर्स यूजर्स के मोबाइल नंबर पर एक टेक्स्ट मैसेज भेजते हैं जिसमें एक वेब लिंक भी होता है। इस लिंक पर क्लिक करते ही आपके फोन की जासूसी शुरू हो जाती है। मैसेज के साथ आए लिंक पर क्लिक करने पर एक वेबपेज खुलता है लेकिन तुरंत बंद हो जाता है। इसके बाद हैकर्स आपकी इसी गलती का फायदा उठाकर आपके फोन में जेलब्रेक (सिक्योरिटी तोडऩे वाला वायरस) डालते हैं।
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