न्यूज डेस्क
जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बुधवार आधी रात को समाप्त हो गया। इसके साथ ही दो नए केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अस्तित्व में आ गए। अनुच्छेद 370 के तहत मिले विशेष दर्जे को संसद द्वारा समाप्त किए जाने के 86 दिन बाद ये निर्णय प्रभावी हुआ है।
गुरुवार सुबह राधाकृष्ण माथुर ने लद्दाख के पहले उप-राज्यपाल के तौर पर शपथ ली। बता दें कि राधाकृष्ण माथुर त्रिपुरा कैडर के IAS अफसर हैं और रक्षा सचिव रह चुके हैं। आईएएस अधिकारी उमंग नरूला को लद्दाख के उपराज्यपाल का सलाहकार नियुक्त किया गया है। वहीं, जम्मू-कश्मीर के पहले उपराज्यपाल (एलजी) गिरीश चंद्र मुर्मू ने भी आज पदभार संभाल लिया।
गृह मंत्रालय ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश होने की अधिसूचना जारी कर दी। देर रात जारी अधिसूचना में मंत्रालय के जम्मू-कश्मीर संभाग ने प्रदेश में केंद्रीय कानूनों को लागू करने समेत कई कदमों की घोषणा की।
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्रीय शासित प्रदेश बनते ही देश में राज्यों की संख्या 28 रह गई और केंद्रशासित प्रदेशों की संख्या बढ़कर 9 हो गई। इसी के साथ जम्मू-कश्मीर के संविधान और रणबीर दंड संहिता का आज से अस्तित्व खत्म हो जाएगा।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 कहता है कि दो केंद्रशासित प्रदेशों के गठन का दिन 31 अक्टूबर है और ये मध्यरात्रि (बुधवार-बृहस्पतिवार) को अस्तित्व में आएंगे। राज्य के विशेष दर्जे को खत्म करने और इसके विभाजन की घोषणा पांच अगस्त को राज्यसभा में की गई थी।
कानून के मुताबिक संघ शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में पुडुचेरी की तरह ही विधानसभा होगी, जबकि लद्दाख चंडीगढ़ की तर्ज पर बिना विधानसभा वाला केंद्रशासित प्रदेश होगा। बृहस्पतिवार को केंद्रशासित प्रदेश बनने के साथ ही जम्मू-कश्मीर की कानून-व्यवस्था और पुलिस पर केंद्र का सीधा नियंत्रण होगा, जबकि भूमि वहां की निर्वाचित सरकार के अधीन होगी। लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश केंद्र सरकार के सीधे नियंत्रण में होगा।