न्यूज डेस्क
आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर के दौरे पर पहुंचे यूरोपीय संघ के सांसदों के प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को श्रीनगर में डल झील की सैर की। यूरोपियन यूनियन के सांसदों के कश्मीर दौरे को लेकर देश में एक अलग तरह की बहस छिड़ी हुई है। विपक्ष लगातार सरकार के इस कदम की आलोचना कर रही है।
हालांकि, भारत में यूरोपीय संघ के कार्यालय के अनुसार, यह यात्रा यूरोपीय संसद की आधिकारिक यात्रा नहीं है। दावा किया जा रहा है कि यूरोपीय संसद के सदस्य ‘निजी’ यात्रा पर हैं। विदेश मंत्रालय भी इस यात्रा के आयोजन में सीधे तौर पर शामिल होता दिखाई नहीं दे रहा है।
ऐसा दावा किया जा रहा है कि यूरोपीय संसद के सदस्यों की कश्मीर यात्रा को ‘WESTT’ एनजीओ ने स्पॉन्सर किया है। इस एनजीओ को ब्रिटिश-भारतीय व्यवसायी मादी शर्मा संचालित करती हैं।
मादी शर्मा मादी ग्रुप की हेड हैं। यूरोपीय सांसदों को भेजे न्योते में मादी ने ही उन्हें पीएम मोदी के साथ खास मुलाकात कराने और कश्मीर ले जाने का वादा किया था। उनके मादी ग्रुप के बारे में कहा जा रहा है कि यह कई अंतरराष्ट्रीय प्राइवेट सेक्टर और एनजीओ का एक नेटवर्क है।
The invitation to the European MP’s was sent out by someone called Madi Sharma. She promised a ‘prestigious VIP meeting’ with India’s Prime Minister, in addition to the Kashmir trip. (Screenshot of her mail exchange with MEP Chris Davies, released by his office) @OnReality_Check pic.twitter.com/6giTXCCjaq
— Sreenivasan Jain (@SreenivasanJain) October 29, 2019
खबरों की माने तो 7 अक्टूबर 2019 को मादी शर्मा ने यूरोपीय सांसदों को ईमेल कर 28 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वीआईपी मीटिंग कराने और 29 अक्टूबर को कश्मीर ले जाने का वादा किया था। इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस की बात कही गई थी। भारतीय मीडिया में यह खबर सामने आने के बाद अब मादी शर्मा के बारे में जानने की लोगों में उत्सुकता बढ़ी है।
मादी शर्मा एक NGO विमिंज इकनॉमिक ऐंड सोशल थिंक टैंक (WESTT) चलाती हैं। शर्मा के ट्विटर हैंडल पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार वह खुद को ‘सोशल कैपिटलिस्ट: इंटरनैशनल बिजनस ब्रोकर, एजुकेशनल आंत्रप्रेन्योर ऐंड स्पीकर’ बताती हैं। यूरोपीय सांसदों को इन्होंने ही भारत दौरे के लिए आमंत्रित किया था।
आपको बता दें कि EU टीम के सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश मंत्री एस. जयशंकर से नई दिल्ली में मुलाकात की। इसके बाद वे मंगलवार को श्रीनगर में 15वीं कोर के कमांडर से भी मिले। नई दिल्ली में डोभाल द्वारा आयोजित लंच के दौरान कश्मीर के कुछ लोगों से भी उनकी मुलाकात कराई गई थी। ऐसे ही श्रीनगर में भी उनकी कुछ स्थानीय लोगों से मुलाकात हुई।
बता दें कि यूरोपीय सांसदों के इस प्रतिनिधिमंडल में 23 सदस्य शामिल हैं। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद भारत ने अपनी नीति को नरम करते हुए पहली बार विदेशी सांसदों को वहां जाने देने की अनुमति दी है।
डल झील की सैर करने के बाद यूरोपीय सांसदों के प्रतिनिधिमंडल ने श्रीनगर में स्थानीय निकाय के सदस्यों से भी मुलाकात की। यूरोपीय सांसदों के प्रतिनिधिमंडल ने पंचायत सदस्यों के अलावा सिविल सोसायटी की सदस्यों से भी मुलाकात की और कश्मीर के हालात पर चर्चा की।
सांसदों के डेलिगेशन ने सेना की 15वीं कोर बटैलियन के मुख्यालय का दौरा किया। सूत्रों के मुताबिक, सेना ने यूरोपीय सांसदों को घाटी में आतंकवाद को बढ़ावा देने में पाकिस्तान की भूमिका से वाकिफ कराया।
यूरोपियन यूनियन के सांसदों ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनएसए अजीत डोभाल से मुलाकात की थी। पीएम मोदी ने सांसदों को संबोधित करते हुए उम्मीद जताई थी कि जम्मू-कश्मीर समेत तमाम इलाकों का दौरा करने से भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता के बारे में उन्हें जानकारी मिलेगी।
शर्मा यूरोपियन इकनॉमिक ऐंड सोशल कमिटी की सदस्य हैं, जो यूरोपियन यूनियन की एक सलाहकार संस्था है। उन्होंने 370 पर एक आर्टिकल भी लिखा था जो EP टुडे में प्रकाशित हुआ। लेख का शीर्षक था, ‘आर्टिकल 370 को खत्म करना जीत और कश्मीरी महिलाओं के लिए चुनौती क्यों है।’ EP टुडे एक मासिक पत्रिका है, जो यूरोपीय संसद से जुड़ी है।
मादी की वेबसाइट के मुताबिक WESTT महिलाओं का एक प्रमुख थिंक-टैंक है जिसकी वैश्विक पहुंच है। यह आर्थिक, पर्यावरणीय और महिलाओं के सामाजिक विकास पर फोकस करता है। इसमें लिखा है, ‘राजनीतिक स्तर पर यह कई मसलों पर जागरूकता के लिए लॉबिंग का भी काम करता है लेकिन कभी भी व्यावसायिक लाभ के लिए नहीं।’
हालांकि अब तक वह कश्मीर के मामलों से संबंधित नहीं थी। उन्होंने पिछले साल ऐसा ही एक यूरोपीय सांसदों का प्रतिनिधिमंडल मालदीव भेजने में सहयोग किया था। उस समय तत्कालीन यामीन सरकार के लिए काफी मुश्किल दौर था।