अली रज़ा
लखनऊ। पूरी दुनिया में भारत जनसंख्या के मामले में दूसरे स्थान पर है लेकिन भारत के उत्तर प्रदेश बोर्ड इलाहाबाद द्वारा होने वाली हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा में पंजीकृत हुए छात्रों की संख्या दुनिया के 194 देशों में 81 देशों की जनसंख्या से अधिक छात्र परीक्षा देंगे।
यूपी बोर्ड की स्थापना 1921 में हुई थी और 1923 में पहली सार्वजनिक परीक्षा आयोजित की गई थी। पहली सार्वजनिक परीक्षा में 5744 परीक्षार्थी शामिल हुए थे जिसमें 5655 परीक्षार्थी हाईस्कूल और 89 परीक्षार्थी इंटरमीडिएट के थे।
यूपी बोर्ड एक ऐसी संस्था है जो पूरी दुनिया में सबसे बड़ी परीक्षा आयोजित कराती है। वैसे तो साल 2020 में पंजीकृत छात्रों की संख्या बीते वर्ष 2019 की अपेक्षा दो लाख छात्र-छात्राएं कम है। 2019 में बोर्ड में पंजीकृत परीक्षार्थियों की संख्या 57,95,756 थी जबकि 2020 में यह संख्या 56,01,034 है जिसमें 30,33,961 परीक्षार्थी हाईस्कूल में और 25,67,073 परीक्षार्थी इंटरमीडिएट के हैं।
अगर आकड़ों की बात की जाये तो दुनिया के कई बड़े देशों की जनसंख्या यूपी बोर्ड के परीक्षार्थियों की संख्या से कम है। जिसमें फिनलैंड व स्लोवाकिया में 55 व 54 लाख, नार्वे में 53 लाख, न्यूजीलैंड, फिलिस्तीन व आयरलैंड की 49 लाख जनसंख्या है।
18 फरवरी 2020 से प्रस्तावित हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा के लिए 56,01,034 परीक्षार्थी पंजीकृत है। संयुक्त राष्ट्र राष्ट संघ ने दुनियाभर के विभिन्न देशों की 2017 में जनसंख्या का जो अनुमान लगाया था उसके मुताबिक 81 देश ऐसे है जहां 56 लाख या उससे कम लोग हैं। जबकि इस साल बोर्ड परीक्षार्थीयों की संख्या में दो लाख की कमी हुई है।
दुनिया की सबसे बड़ी परीक्षा को सम्पन्न कराने के लिए प्रदेश के पचास से अधिक सरकारी विभाग के अधिकारियों को मजिस्ट्रेट के रूप में नकल विहीन परीक्षा कराने के लिए लगाया जाता है।
यूपी बोर्ड द्वारा आयोजित होने वाली परीक्षा में 143 विषय निर्धारित हैं। जिसमें हाईस्कूल में 37 विषय है और इंटरमीडिएट में 106 विषय है। इंटर में व्यवसायिक शिक्षा के कुल 41 ट्रेडस विषय शामिल हैं। जिसमें एक विषय नैतिक, खेल एवं शारीरिक शिक्षा विषय की परीक्षा स्कूल आन्तरिक रूप से लेते हैं।