राजीव ओझा
वैसे तो सब को मालूम है फिर भी याद दिलाना जरूरी है कि धनतेरस क्यों मनाया जाता है। मान्यता है कि समुद्र मन्थन के दौरान भगवान धन्वन्तरि और मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था, यही वजह है कि धनतेरस को भगवान धनवंतरी और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
आज धनतेरस है और आज सोना-चांदी और बर्तन की दुकानों में देर रात तक भारी भीड़ रहती है। कुछ ख़ुशी से कुछ औपचरिकतावश धनतेरस मानते हैं। सब को लगता है सोने-चांदी का सिक्का, नए बर्तन, यहाँ तक कि चम्मच खरीदने से भी लक्ष्मी सरपट भागी चली आयेंगी। इनमें ढेर सारे वो लोग भी होते हैं जो बेटियों को आने से पहले ही उन्हें मार देने के लिए टेस्ट करवा चुके होते हैं। ये लोग पहले से ही घर में मौजूद लक्ष्मी की कीमत नहीं समझते लेकिन चांदी के सिक्के और स्टील के चम्मच से लक्ष्मी का आह्वान करने के लिए टूट पड़ते हैं।
ऐसे की छद्म लोगों से बेटियों को बचाने के लिए ही धनतेरस के दिन उत्तर प्रदेश की बेटियों को योगी सरकार ने सुमंगल योजना शुरूआत की। बेटियों के जन्म को प्रोत्साहित करने के लिए अच्छी योजना है। इसमें गरीब परिवारों को बेटियों के पैदा होने और उनकी शिक्षा के लिए सरकार की ओर से पैसा दिया जाएगा।
धनतेरस का मतलब सिर्फ नये बर्तन और सिक्के नहीं
योजना तो शुरू हो गई लेकिन सबसे बड़ी चुनौती इसको सही ढंग से लागू कराना है। धनतेरस का मतलब बेटियों को बचाना और बढ़ाना है। बेटियों के मंगल में ही परिवार और समाज का मंगल निहित है। हमारे जिलों में मंत्रियों, विधायको और अन्य प्रभारियों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह योजना किसी एक वर्ग-समुदाय के लिए नहीं बल्कि कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथा को समाप्त करने और छोटे परिवार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की जा रही।
बेटियों को बढाने में यूनिसेफ का साथ
यह भी संयोग है कि यूनिसेफ की कंट्री रिप्रेजेंटेटिव डॉ यास्मीन अली हक़ ने मुख्यमंत्री से महिलाओं एवं बच्चों से जुड़े कार्यक्रमों पर चर्चा की और बचराइच व श्रावस्ती दौरे से जुड़े अनुभव साझा किए।
निसंदेह योगी सरकार का प्रयास सराहनीय है लेकिन कहते हैं न ताली एक हाथ से नहीं बजती। सुमंगल योजना का पूरा लाभ तभी मिलेगा जब शुरुआत के बाद इसको सही ढंग से लागू किया जाये। इसके लिए इसकी सतत मोनिटरिंग बहुत जरूरी है।
बेटियों की सुरक्षा में प्रशासन और पुलिस की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है और यही सबसे बड़ी चुनौती है। बेटियां बचेंगी, सुरक्षित रहेंगी तभी आगे बढेंगी। इसी में परिवार और समाज का मंगल है और यही सुमंगल है। धनतेरस उल्लास से मनाएं, नए बर्तन लायें लेकिन लकीर के फ़कीर न बने। एक दिन नए बर्तन लाने से कुछ नहीं होगा। इसके बजाय की शिक्षा, संस्कारों पर निवेश करें। यही सुमंगल है और यही असली धनतेरस है। आप सबको धनतेरस पर शुभकामनाएं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)
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