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नयी दिल्ली। जापान के साथ कारोबारी संबंधों को और अधिक प्रोत्साहन देने के लिए भारतीय निर्यातक महासंघ (फियो) ने ‘भारत- जापान बिजनेस ग्रुप’ का गठन किया है।
फियो के अध्यक्ष शरद कुमार सराफ ने ‘भारत और जापान के बीच व्यापार और व्यवसाय के अवसरों पर आयोजित एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच निर्यात, आयात और निवेश को बढ़ावा देने और भारत और जापान के व्यापारिक समुदायों के बीच संवाद को प्रोत्साहित करने के लिए एक ऑनलाइन मंच ‘भारत-जापान बिजनेस ग्रुप’ बनाया गया है।
उन्होंने बताया कि फियो ने भारत और जापान के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के लिए टोक्यो प्रशासन से जुड़े जापान इंडिया इंडस्ट्री प्रमोशन एसोसिएशन (जेआईआईपीए) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए। समझौता ज्ञापन दो प्रमुख संस्थानों के बीच अधिक से अधिक सहयोग और बातचीत का मार्ग प्रशस्त करेगा।
सराफ ने कहा कि दोनों देशों के बीच 17.6 अरब डॉलर का मौजूदा कारोबार पूरी क्षमता के अनुरुप नहीं है। जापान को अभी तीन अरब डॉलर से अधिक का निर्यात किया जा सकता है।
फार्मास्यूटिकल्स, रत्न और आभूषण, समुद्री उत्पाद, चावल, मांस, टी-शर्ट, फेरो सिलिकॉन, एल्यूमीनियम, आदि क्षेत्रों में निर्यात की प्रबल संभावनाएं हैं।
इस अवसर पर फियो के महानिदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. अजय सहाय ने कहा कि भारतीय निर्यातकों को निर्यात के वैसे मूल्य वर्धित (वैल्यू एडेड) पर ध्यान देना चाहिए, जो जापान में मुख्य रूप से आयात होता है। जापान में आयात होने वाले कई उत्पादों में भारत की हिस्सेदारी बेहद कम है।
बिजली और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में भारत की हिस्सेदारी 0.09 प्रतिशत, मशीनरी 0.36 प्रतिशत, दवा 0.24 प्रतिशत और चिकित्सा और सर्जिकल उपकरणों 0.38 प्रतिशत है जिनमें बड़े पैमाने पर सुधार की आवश्यकता है क्योंकि जापान में इन उत्पादों का आयात 250 अरब डॉलर से अधिक का है।