न्यूज डेस्क
पीएमसी बैंक घोटाले के मुख्य आरोपी राकेश और सारंग वधावन ने आरबीआई और जांच एजेंसियों से अनुरोध किया है कि उनकी सम्पत्ति बेचकर बैंक का बकाया चुकाया जाए।
राकेश और सारंग रियल एस्टेट समूह एचडीआईएल के प्रमोटर है। मीडिया रिपोटर््स के मुताबिक पिता-पुत्र के हस्ताक्षर के साथ जारी एक पत्र में कहा गया है, ‘हम प्राथमिकी में लगाए आरोपों को खारिज करते हुए आपसे अपनी कुछ संपत्तियों को बेचने और इसे संबंधित कंपनियों द्वारा लिए कर्ज के रूप में चुकाने के वास्ते फौरन कदम उठाने का अनुरोध करते हैं।’ पत्र में दी गई संपत्तियों की सूची में कई महंगी कारें शामिल हैं।
गौरतलब है कि पीएमसी बैंक के कुछ अधिकारियों पर प्राइवेट रियल एस्टेट फर्म एचडीआईएल से सांठगांठ कर उसे कर्ज देने का आरोप है। बताया जा रहा है कि इसके चलते बैंक को 4355 करोड़ रु का नुकसान हो गया है। अब तक पीएमसी बैंक के तीन ग्राहकों की अलग-अलग कारणों से मौत की खबर आ चुकी है।
उधर, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने कहा है कि उनकी इस मामले पर करीब से नजर है। खबरों के मुताबिक उनका कहना था, ‘चुनाव के बाद हम इस मुद्दे को केंद्र के पास ले जाएंगे। हम केंद्र से अनुरोध करेंगे कि वह खाताधारकों का पैसा वापस लाने में उनकी मदद करे।’
खस्ता माली हालत के चलते रिजर्व बैंक ने पीएमसी बैंक पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी हैं। उदाहरण के लिए इसके ग्राहक छह महीने में अपने खाते से 40 हजार रु से ज्यादा की रकम नहीं निकाल सकते। इससे ऐसे कई लोग परेशान हैं जिन्हें परिवार में शादी या फिर किसी दूसरे बड़े खर्च के लिए पैसे की जरूरत है। उधर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि ग्राहकों के हितों की रक्षा की जाएगी।
पीएमसी बैंक फिलहाल रिजर्व बैंक द्वारा नियुक्त प्रशासक के अंतर्गत काम कर रहा है। बैंक के पूर्व प्रबंधकों की पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा जांच कर रही है। पीएमसी 11,600 करोड़ रुपये से अधिक जमा के साथ देश के शीर्ष 10 सहकारी बैंकों में से एक है।
बैंक के कामकाज में अनियमितताएं और रीयल एस्टेट कंपनी एचडीआईएल को दिये गये कर्ज के बारे में सही जानकारी नहीं देने को लेकर उस पर नियामकीय पाबंदी लगाई गयी है। बैंक ने एचडीआईएल को अपने कुल कर्ज 8,880 करोड़ रुपये में से 6,500 करोड़ रुपये का ऋण दिया था।
यह उसके कुल कर्ज का करीब 73 प्रतिशत है। पूरा कर्ज पिछले दो-तीन साल से एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) बनी हुई है। बैंक पर लगायी गयी पाबंदियों में कर्ज देना और नया जमा स्वीकार करने पर प्रतिबंध शामिल हैं। साथ ही बैंक प्रबंधन को हटाकर उसकी जगह आरबीआई के पूर्व अधिकारी को बैंक का प्रशासक बनाया गया।