स्पेशल डेस्क
लखनऊ। लगातार मिल रही हार से सबक लेते हुए समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेख यादव अपने अपने वोट बैंक को बचाने में लग गए है। अखिलेश को पता है कि अगर अभी से उन्होंने यादव वोट बैंक को बचाया नहीं तो उनको आगे और परेशानी होने वाली है। तीन साल बाद अगर सत्ता में दोबारा लौटना है तो अभी से समाजावादी वोट बैंक के लिए जमीन तैयार करनी होगी। इसी को ध्यान में रखकर वोट बैंक को फिर से एक जुट करने के लिए नई रणनीति पर काम कर रहे हैं।
इसी वजह से अखिलेश अब पहले से ज्यादा सरकार पर हमला बोलते नजर आ रहे हैं। अखिलेश यादव वोट बैंक को ध्यान में रखकर सूबे की योगी सरकार को अपने रडार पर ले रहे हैं। सपा अब साल 2022 के विधानसभा चुनाव को अपना लक्ष्य बनाकर चल रही है। सपा के मूल वोट बैंक को फिर से हासिल करने के लिए अखिलेश यादव पुष्पेंद्र मुठभेड़ कांड के माध्यम से योगी सरकार को घेरा है ताकि उनका छिटका हुआ वोट बैंक फिर से एक जुट हो सके।
उधर शिवपाल यादव भी वोट बैंक की सियासत में लगे हुए है। इतना ही नहीं एम-वाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण का खेल भी अब यूपी में भी चरम पर है। शिवपाल सिंह यादव के नेतृत्व वाली प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के बढ़ते कद से सपा में भी तहलका मचा हुआ है। इसी के तहत अखिलेश के झांसी दौरे से पहले शिवपाल के पुत्र आदित्य यादव ने वहां का दौरा कर वोट बैंक की सियासत को अचानक से हवा दे दी है। ऐसे में वोट बैंक के मामले में अब शिवपाल यादव भी अखिलेश के लिए सबसे बड़ा रोड़ा बनकर सामने आते नजर आ रहे हैं।