न्यूज डेस्क
टेरर फंडिंग रोकने में नाकाम पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की रिव्यू मीटिंग में करारा झटका लगा है। सोमवार की मीटिंग में पाकिस्तान को किसी भी देश का साथ नहीं मिला। यहां तक कि पाकिस्तान के हमदर्द चीन, मलेशिया और तुर्की भी उसके साथ नहीं आए।
माना जा रहा है कि पहले से ही ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान अगर अपनी जमीन से आतंकवाद को समर्थन बंद नहीं किया तो जल्दी ही उसे डार्क ग्रे लिस्ट में डाला जा सकता है।
गौरतलब है कि FATF का फैसला 18 अक्टूबर को आना है। चीन के जियांगमिन ल्यू की अध्यक्षता में FATF ये का यह पहला अधिवेशन है।
FATF की एशिया पैसिफिक ग्रुप (APG) की रिपोर्ट में पाकिस्तान आतंकियों को फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग रोकने में नाकाम रहा है। पाकिस्तान को उम्मीद थी कि FATF में चीन, मलेशिया और तुर्की उसके पक्ष में वोट करेंगे।
लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। ये पाकिस्तान के लिए करारा झटका है। पाकिस्तान की मौजूदा हालत पर ये भी माना जा रहा है कि अंतिम फैसले में भी FATF के सभी देश पाकिस्तान से किनारा कर सकते हैं, क्योंकि वह आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई में बहुत अच्छा नहीं कर रहा है। यही वजह है कि पाकिस्तान को ‘डार्क ग्रे लिस्ट’ में डाला जा सकता है।
बताते चले कि FATF के नियमों के अनुसार ‘ग्रे’ और ‘ब्लैक’ लिस्ट के बीच एक अनिवार्य चरण है, जिसे ‘डार्क ग्रे’ कहा जाता है। ‘डार्क ग्रे’ का अर्थ है सख्त चेतावनी ताकि संबंधित देश को सुधार का एक अंतिम मौका मिल सके।
दूसरी ओर इससे बचने के लिए FATF की मीटिंग में पाकिस्तान एक डॉजियर सौंपने वाला है, जिसमें इस बात का जिक्र होगा कि इस्लामाबाद ने आतंकियों के खिलाफ क्या क्या कार्रवाई की है। डॉजियर में आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में भी जानकारी दिए जाने की संभावना है।
बता दें कि जून 2018 में पेरिस में हुई एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान को ग्रे सूची में डाल दिया गया था और 27 पॉइंट का एक्शन प्लान देते हुए अक्टूबर 2019 तक का समय दिया था। इसमें मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकी फंडिंग और नॉन-बैंकिंग कॉर्पोरेट व नॉन-कॉर्पोरेट सेक्टरों से रोकने के उपाय थे। FATF की इस बैठक में इस बात का निर्णय होगा कि पाकिस्तान को डार्क ग्रे लिस्ट में रखा जाए या फिर ब्लैकलिस्ट किया जाएगा।