सुरेंद्र दुबे
हमारे देश में वर्ष 2014 के चुनाव के समय से मुंगेरीलालों ने हसीन सपने देखने शुरू कर दिए थे। तमाम सपने थे जिनको दिखाने वाले खुद ही भूल गए हैं तो भला हम उन सपनो को क्यों याद रखें।
लेकिन एक सपना तो हर एक को याद है कि मोदी सरकार बनने के बाद हर आदमी के खाते में 15 लाख रूपए आ जाएंगे। ये सपना इस आधार पर दिखाया गया था कि सरकार विदेशों में जमा काला धन वापस ले आएगी। जो इतना अधिक होगा कि सभी लोगों के खाते में 15 लाख रूपए जमा हो जाएंगे।
काला धन तो वापस नहीं आया पर सरकार दोबारा वापस आ गई। आम आदमी मुंगेरीलाल ही होता है। उसे अपने पराक्रम से ज्यादा अपने सपनों पर ज्यादा भरोसा होता है। ये सपने चाहे उसे सरकार दिखाए या वह स्वयं देखे। नेता सपने दिखाने में माहिर होता है। और जनता उसकी आंख से ही सपने देखती है।
अब कल ही खबर आई है कि स्विटजरलैंड की सरकार ने ऑटोमेटिक एक्सचेंज ऑफ इन्फॉर्मेशन (AEOI) के तहत 75 देशों को उसके बैंकों में जमा पैसों के बारे में जानकारी दी है, जिसमें एक देश भारत भी है। अब भक्तों ने ढोल बजाना शुरू कर दिया कि मोदी सरकार के प्रयास से स्विटजरलैंड सरकार ने उसके खातों में जमा भारतीयों के काले धन के बारे में जानकारी दे दी है।
वहां की सरकार ने भारत को जिन खातेदारों के बारे में सूचना दी है उसमें गोपनीयता कानून के तहत यह नहीं बताया गया कि इन खातों में कितनी रकम जमा है।
जाहिर है दूसरे देशों के जमा धन पर ऐश करने वाला स्विटजरलैंड यह जानकारी देकर अपने पैर पर कुल्हाडी क्यों मारेगा। पर भक्तों का क्या उन्हें तो मुंगेरीलालों को यह बताना ही है कि अब चिंता की कोई बात नहीं है। भले ही हमारे बैंक कंगाल होते जा रहे हैं पर स्विटजरलैंड के बैंक आखिर किस दिन काम आएंगे।
वैसे तो हमारे भक्तों के महंतों ने वर्ष 2014 में ही चुनाव जीतने के बाद 15 लाख रूपए वाली बात को जुमला बता दिया था, इसीलिए अब कोई भी सरकारी नेता 15 लाख रूपए का जुमला अपने मुंह से नहीं निकाल रहा है। पर भक्तों को इस मामले में भ्रम फैलाने के आदेश दे दिए गए हैं।
जनता का क्या वह तो किसी न किसी सपने के सहारे ही जिंदा रहती है। जब सपना टूट जाता है तो अपना माथा पीट कर अपने भाग्य भरोसे बैठ जाती है। ये ठीक वैसे ही है जैसे चिटफंड कंपनियां जनता को साल भर में रकम चौगुनी करने का वादा कर लूट लेती हैं। जनता लूटने के बाद फिर किसी सपने को संजोने लगती है ऐसे लोगों को ही मुंगेरीलाल कहा जाता है।
हर भारतीय को दुनिया के किसी भी बैंक में खाता खोलने का अधिकार है। अब इन खातों में जमा पैसा कालाधन है या नहीं इसका पता इस आधार पर ही लग सकता है कि अमुक व्यक्ति ने अपने आयकर रिटर्न में इन खातों के बारे में कोई जानकारी दी है या नहीं।
ऐसा समझा जाता है कि भारत के तमाम उद्योगपतियों के स्विटजरलैंड के बैंकों में खाते हैं। जमा रकम सफेद या काली किसी भी रंग की हो सकती है। हमारी सरकार तो वैसे ही उद्योगपतियों पर मेहरबान है। हाल ही में उनकी गरीबी पर तरस खा कर केंद्र सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स में छूट देकर 1.46 लाख करोड रूपए का घाटा उठाया है।
इसके पहले सरकार ने अपनी गरीबी दूर करने के लिए रिजर्व बैंक से 1.76 लाख करोड रूपए हथियाए थे। हमारी माली हालत चाहे जैसी हो हमने रूस को भी 10 लाख करोड़ रूपए का ऋण देने का वादा किया है।
महाराष्ट्र व हरियाणा में विधानसभा के 21 अक्टूबर को चुनाव होने वाले हैं। हमारे देश की अर्थव्यवस्था बहुत ही दयनीय स्थिति में है। यह मुद्दा चुनाव के लिए महत्वपूर्ण हो सकता था। पर भाजपा की किस्मत से छींका टूटा। अब मुंगेरीलालों यह सपना दिखाने से कौन रोक सकता है कि अरबों रूपए स्विटजरलैंड से आने वाले हैं इसलिए वो थोड़े दिन और भूखे पेट व नंगे रह लें।
अभी वह अपना काम अनुच्छेद व 35 ए के पराभव से चलाएं। राम मंदिर पर भी नवंबर में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने वाला है। जो हरहाल में मंदिर के पक्ष में ही होगा।
तो चलो कश्मीर समस्या निपट गई। अयोध्या में राम मंदिर बन जाएगा। परेशान होने की जरूरत नहीं है हम जल्दी ही कॉमन सिविल कोड भी पूरे देश में लागू कर देंगे। हमने बालाकोट में किए गए एयरस्ट्राइक का प्रमोशनल वीडियो भी चलवा ही दिया है।
पूरा विश्वास है कि जनता इस वीडियो को रियल वीडियो की तरह ही देखेगी। अब बचा ही क्या। सिर्फ आप को अपना वोट डालना है सरकार कैसे बनेगी हमे मालूम है। राष्ट्र की रक्षा करना हमारा दायित्व है। अगर ऐसा करने से किसी ने रोका तो फिर उसे राष्ट्रद्रोही समझा जा सकता है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)
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