सुरेंद्र दुबे
अगर कांग्रेसी नेताओं की माने तो कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ध्यान करने विदेश चले गए हैं। कोई कह रहा है बैंकॉक गए हैं तो कोई कह रहा है कंबोडिया गए हैं। किसी को भी साफ-साफ कुछ नहीं मालूम है।
जिस तरह से राहुल गांधी ध्यान करने के लिए अंतर्ध्यान हुए हैं वह यह जताता है कि कांग्रेस पार्टी हरियाणा व महाराष्ट्र से अंतरध्यान हो सकती है। यह पहले बड़े नेता हैं जो चुनाव के समय देश से अंतरध्यान होकर कांग्रेसियों को उनके भरोस छोड़ गए हैं।
कभी-कभी ऐसा लगता है कि राहुल गांधी ने तय कर लिया है कि अब वह मोदी जी की इच्छा के अनुरूप देश को कांग्रेस मुक्त करा कर ही रहेंगे। उनकी मम्मी सोनिया गांधी, जो अब कांग्रेस पार्टी की कार्यवाहक अध्यक्ष हैं, राहुल पर किसी तरह का अंकुश रख पाने में असमर्थ हैं। उनकी हालत एक ऐसी मां की हो गई है, जो लाड-प्यार में बिगड़े अपने बेटे की बेवकूफियों को बर्दाश्त करने के लिए मजबूर हैं।
राहुल गांधी संभवत: कंबोडिया विपश्यना ध्यान करने के लिए गए हैं और उनके ध्यान में ये नहीं रहा कि महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा के चुनाव हैं, जहां उनके न रहने पर पार्टी का प्रदर्शन और घटिया हो सकता है। अब ये कैसा ध्यान है जहां राहुल को अपनी पार्टी का ही ध्यान नहीं है।
भाजपा मुदित है कि चलो कांग्रेस का एक नेता तो मैदान छोड़ ही गया है अब उसे सिर्फ मम्मी से निपटना है। सरकार एक कदम और आगे बढ़ गई है और भविष्य में अब राहुल गांधी निजी यात्रा पर भी एनएसजी कमांडो के बगैर नहीं जा सकेंगे। यानी सरकार राहुल गांधी पर कमांडोज के जरिए राहुल की जासूसी कराती रहेगी।
राहुल गांधी धड़े के अशोक तंवर, संजय निरुपम और प्रद्योत देबबर्मन कांग्रेस के पुराने नेताओं पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि मौजूदा कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी के खेमे के नेता राहुल गांधी के सहयोगी नेताओं के साथ ज्यादती कर रहे हैं।
कांग्रेस में राहुल गांधी खेमे के अशोक तंवर ने पार्टी छोड़ने से पहले कहा, ‘मेरा मसीहा ही मेरा कातिल है।’ उनका कहना था कि उन्हें राहुल गांधी ने चुना था और अब पूर्व सीएम भूपिंदर हुड्डा युवा नेता होने के कारण उन्हें निशाना बना रहे हैं।
उनका कहना है कि राहुल गांधी न सिर्फ विधानसभा चुनावों की सरगर्मियों के बीच कंबोडिया गए हैं, बल्कि ऐसे समय उन्होंने विपश्यना के लिए जाने का फैसला किया है जब उनकी टीम मुश्किल में है। पार्टी के साथ ऐसे हालात में भी खड़े कई युवा नेता नाराज हैं। उन्हें अपना राजनीतिक भविष्य अंधेरे में नजर आ रहा है।
महाराष्ट्र कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम ने सोनिया गांधी की टीम पर सीधा हमला किया है। वहीं, टिकट बंटवारे को लेकर शिकायत करने के कारण उनका सियासी भविष्य अधर में लटक गया है। महाराष्ट्र के खराब नतीजे राहुल गांधी और उनकी टीम को निरुपम पर हमला करने का मौका देंगे।
विधानसभा चुनावों में सोनिया गांधी ने पूरी जिम्मेदारी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को सौंप दी है। चुनावी हार राहुल गांधी और उनकी टीम को पार्टी को नियंत्रण में लेने की राह खोल देगी।
माना जाता है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की दुर्दशा का सबसे बड़ा कारण पार्टी के दो खेमों में बंटना है। इस सब के बीच कहा जा सकता है कि राहुल गांधी का कंबोडिया में ध्यान उनकी दूसरी पारी की धीमी शुरुआत है। अगर इसे सही भी मान लिया जाए तो वह किसका नुकसान करेंगे। मम्मी ने तो पहले ही राहुल को गद्दी सौंप दी थी। यहां मुलायम सिंह और अखिलेश यादव जैसा कोई सीन नहीं है।
मुलायम सिंह नेपथ्य में चले गए हैं पर सोनिया गांधी सिंघासन पर आरूढ़ हैं। राहुल गांधी के भक्त किसी तरह अपना अस्तित्व बचाने में लगे हुए हैं। हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में ही जाते दिखाई दे रहे हैं। ऐसा लगता है कि राहुल गांधी खुद ही अपनी पार्टी को अंतर्ध्यान करने में लगे हुए हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)
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