‘मुंबई के फेफड़े’ के नाम से चर्चित आरे कॉलोनी में पेड़ों की कटाई पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। अब इस मामले पर 21 अक्टूबर को अलगी सुनवाई होगी। पेड़ों की कटाई पर 14 अक्टूबर तक रोक जारी रहेगी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद महाराष्ट्र सरकार का पक्ष रख रहे तुषार मेहता ने कहा कि अब सरकार कोई पेड़ नहीं काटेगी। जस्टिस मिश्रा ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार रिपोर्ट दे और कोर्ट को बताए कि अबतक आरे में कितने पेड़ काटे गए हैं?
सरकारी वकील के मुताबिक अदालत ने निर्माण कार्य पर रोक नहीं लगाई है, सिर्फ पेड़ों की कटाई पर रोक है। सुनवाई के बाद वकील संजय हेगड़े ने मीडिया को बताया कि सॉलिसिटर जनरल ने अदालत में कहा है कि मेट्रो को जितने पेड़ काटने थे उतने काट लिए गए हैं।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को आदेश दिया कि आरे में पेड़ों की कटाई का विरोध कर रहे जिन लोगों को हिरासत में लिया गया था, उन्हें तुरंत रिहा किया जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को भी इस केस में एक पार्टी के तौर पर शामिल किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वह इस मामले को चेक करेंगे और आगे अपनी बात कहेंगे। अदालत ने कहा है कि अगर ये गलत है तो गलत है, चाहे एक प्रतिशत ही क्यों ना हो। अदालत ने इस दौरान महाराष्ट्र सरकार से हलफनामा मांगा है और मौजूदा स्थिति की जानकारी मांगी है। सुप्रीम कोर्ट इस दौरान आरे कॉलोनी के संवेदनशील क्षेत्र होने पर फैसला करेगा।
बता दें कि कानून की पढ़ाई कर रहे ऋषभ रंजन की ओर से पेड़ों की कटाई रोकने के लिए लिखे गए पत्र को सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका के तौर पर स्वीकार कर लिया है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार बहुत जल्दाबाजी में यह फैसला ले रही है। आरे में कुल 2,700 पेड़ काटे जाने की योजना है। कहा जा रहा है कि इसमें से ज्यादातर पेड़ों को गिरा दिया गया है।
मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि क्या आपके पास इस बात का सबूत हैं कि आरे पहले जंगल या इको सेंसेटिव जोन में आता था और अगर ऐसा था तो क्या सरकार ने इसे बदला?
कोर्ट ने कार्यकर्ताओं से कहा कि इसके लिए आप हमें प्रोपर डॉक्यूमेंट दिखाएं, मीडिया रिपोर्ट नहीं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता महाराष्ट्र सरकार की ओर से अपना पक्ष रख रहे हैं। जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस अशोक भूषण की स्पेशल बेंच मामले पर सुनवाई की।
कानून की पढ़ाई करने वाले की ओर से पेड़ों को काटने के विरोध में लिखे पत्र को सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका के तौर पर स्वीकार कर लिया था। इसके साथ ही मामले पर सुनवाई के लिए भी राजी हो गया। रविवार को ही कोर्ट ने स्पेशल बेंच का गठन भी कर दिया था। मेट्रो कार शेड बनाने के लिए आरे कॉलोनी में पेड़ों की कटाई की जा रही है। बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बाद बीएमसी ने पेड़ों की कटाई शुरू की थी।