अविनाश भदौरिया
मोहनदास करमचन्द गांधी ये एक ऐसा नाम है जिसके विषय में जितना लिखा जाए उतना कम है। आज उनकी 150वीं सालगिरह है और देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में उन्हें याद किया जा रहा है। कई तरह के कार्यक्रम, कैंपेन और संगोष्ठियां हो रही हैं। गांधी के आदर्शों, गांधी की शिक्षाओं, गांधी के संघर्ष और न जाने किस-किस विषय पर चर्चा-परिचर्चा की जा रही है।
कमाल की बात यह है कि महत्मा गांधी की हत्या के लिए जिस संगठन या जिस विचारधारा को जिम्मेदार ठहराया जाता है आज वो ही लोग गांधी को अपना आदर्श बता रहे हैं और झाड़ू लेकर स्वच्छता का सन्देश देने में जुटे हुए हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर ये कोई बदलाव की आहट है या कोई कुटिल षड्यंत्र ?
दरअसल इस सवाल का जवाब बड़ा ही स्पष्ट है वो ये है कि महत्मा गांधी का व्यक्तित्व इतना विराट है कि उनमें हर एक व्यक्ति, विचार और संगठन को अपने से जोड़ने का मौका मिल जाता है और यही वजह है कि सबने अपने-अपने गांधी पकड़ लिए हैं। अब समस्या यह है कि बेचारे गांधी बाप्पा यानी कि राष्ट्रपिता जाएं तो जाएं कहां ?
आइए गांधी जयंती पर कुछ सोशल मीडिया की पोस्ट पर नजर डालते हैं, जिनमें उन्हें लोगों ने अपने-अपने नजरिये से याद किया है।
पीएम मोदी ने गांधी जयंती पर ट्वीट करते हुए लिखा कि, ‘शांति, सद्भाव और भाईचारे के प्रति गांधी जी की प्रतिबद्धता अटूट रही। उन्होंने एक ऐसी दुनिया की कल्पना की जहां गरीब से गरीब व्यक्ति सशक्त हो। उनके आदर्श हमारे लिए मार्गदर्शक हैं।
At Rajghat, paid tributes to Bapu.
Gandhi Ji’s commitment to peace, harmony and brotherhood remained unwavering. He envisioned a world where the poorest of the poor are empowered.
His ideals are our guiding light. #Gandhi150 pic.twitter.com/4UHLj1EfhB
— Narendra Modi (@narendramodi) October 2, 2019
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने अपने ट्विटर पर लिखा है कि, “वही करो जो सही है, आसान नहीं”
“Do what is right, not what is easy”
Mahatma Gandhi#GandhiSandeshYatra#GandhiJayanti pic.twitter.com/inKTvoQfA4
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) October 2, 2019
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लिखा है कि, “हाँ, मैं हूँ। मैं एक मुस्लिम भी हूँ, एक ईसाई भी, एक बौद्ध भी, और एक यहूदी भी।” — महात्मा गांधी
“हाँ, मैं हूँ। मैं एक मुस्लिम भी हूँ, एक ईसाई भी, एक बौद्ध भी, और एक यहूदी भी।” — महात्मा गांधी pic.twitter.com/qQR5uCg1Ij
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) October 2, 2019
वरिष्ठ पत्रकार उत्कर्ष सिन्हा ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि, गांधी की शख्शियत को बस इतने से समझिए कि एक गिरोह 3 पीढियों से उन्हें मारने की कोशिश में है, मगर फिर उन्ही के चरणों मे गिर जाता है।
लेखक और पत्रकार दीपक केएस लिखते हैं कि, डरपोक और हिंसा में से किसी एक को चुनना होगा, तो मैं हिंसा के पक्ष में अपनी राय दूंगा – बापू।
देश की तरक्की के लिए हमे आपस में लड़ने के बजाये अपनी अज्ञानता से लड़ना होगा – शास्त्री जी।
जोया नाम के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया है कि, जो गोडसे अमर रहे ट्रेंड करा रहे हैं उनके लिए..
For those who are trending #गोडसे_अमर_रहें instead of #GandhiJayanti :-
Ghar Kuch
Se Dur
Nikalte Chalte
Hi Hi pic.twitter.com/dLVALZxXQh— Zoya (@RangDeTiranga) October 2, 2019
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