निजी क्षेत्र के कॉलेजों में चल रहे प्रोफेशनल कोर्स में दलित छात्रों को स्कॉलरशिप और शुल्क प्रतिपूर्ति लेने के लिए इंटरमीडिएट में कम से कम 60 फीसदी अंक अनिवार्य कर दिए गए हैं।
यदि इंटरमीडिएट में 60 फीसदी अंक नहीं हैं तो ऐसे एससी-एसटी छात्र को निजी क्षेत्र के कॉलेजों में प्रवेश लेने पर कोई छात्रवृत्ति या फीस प्रतिपूर्ति नहीं मिलेगी।
यूपी सरकार के इस फैसले से प्रदेश के निजी क्षेत्र के कॉलेजों में 70 से 80 फीसदी दलित छात्र, छात्रवृत्ति एवं फीस प्रतिपूर्ति के दायरे से बाहर हो जाएंगे। उत्तर प्रदेश के अनुसचिव सतीश कुमार का उक्त आदेश पहुंचते ही कॉलेजों में हड़कंप मच गया है।
यह आदेश पूरी तरह से एससी-एसटी के लिए है। इसमें निजी क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों में संचालित ऐसे मान्यता प्राप्त प्रोफेशनल कोर्स रखे गए हैं, जिसमें प्रवेश की न्यूनतम अर्हता 12वीं है। प्रोफेशनल कोर्स में बीए, बीकॉम, बीएससी और बीएससी-एजी छोड़कर अधिकांश कोर्स शामिल हैं।