न्यूज डेस्क
जम्मू-कश्मीर का मुद्दा अगस्त माह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में बना हुआ है। पाकिस्तान भारत की गरिमा प्रभावित करने के लिए कश्मीर को लेकर तरह-तरह के भ्रामक तथ्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेश कर रहा है। इस सबके बीच अमेरिकी अखबार द न्यू यॉर्क टाइम्स ने अपने एक पन्ने पर कश्मीर को लेकर विज्ञापन प्रकाशित किया है जो तथ्यों से बिल्कुल परे है। यह पूरी तरह पाकिस्तानी प्रॉपगैंडे पर आधारित है।
अमेरिकी अखबार द न्यू यॉर्क टाइम्स में प्रकाशित विज्ञापन चर्चा में है। चर्चा इस बात की है कि आखिर यह विज्ञापन किसने छपवाया है।
दरअसल पूरे एक पन्ने के प्रकाशित विज्ञापन में कश्मीर पर पाकिस्तान के झूठ को हवा देते हुए पीओके (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) में इसाईयों, हिंदुओं के साथ-साथ शिया और अहमदिया मुसलमानों के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघनों के पाकिस्तान के ट्रैक रिकॉर्ड की बिल्कुुल अनदेखी की गई है।
विज्ञापन में कहा गया है कि इसे इंटरनेशनल ह्यूमैनिटैरियन फाउंडेशन ने स्पॉन्सर किया है। इसका दफ्तर केन्या, इंडोनेशिया और थाइलैंड में हैं। विज्ञापन में दावा किया गया है कि धारा &70 हटने के बाद से कश्मीर में लाखों लोग पाबंदियों में जी रहे हैं।
यह हकीकत से परे है। कश्मीर में रोजमर्रा की जरूरतों की कभी कोई कमी नहीं रही और अब वहां संचार व्यवस्था भी बहाल होने लगी है और जनजीवन सामान्य होने लगा है।
तथ्यहीन दावों वाला यह विज्ञापन न्यू यॉर्क टाइम्स ने प्रकाशित करते हुए जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खुले तथ्य को पूरी तरह नजरअंदाज किया।
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इसके विज्ञापन में कहा गया है कि मोदी सरकार ने मुद्दे सुलझाने के लिए पाकिस्तान के साथ किसी तरह की बातचीत अथवा मध्यस्थता की पेशकश खारिज कर दी है।
इस विज्ञापन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के आरएसएस पर दिए बयान का भी जिक्र है, लेकिन पाकिस्तान में कई आतंकवादी समूह होने पर यह विज्ञापन बिल्कुल मौन है।
मालूम हो कि यह वही न्यू यॉर्क टाइम्स है जिसने 28 सितंबर, 2014 को ‘इंडियाज बजट मिशन’ के नाम से प्रकाशित ओपिनियन में एक कार्टून के जरिए भारत के गगनयान मिशन का मजाक उड़ाया था। इस पर दुनियाभर से फजीहत होती देख अखबार ने अपनी हकरत पर माफी मांगी थी।
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