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यूपी कांग्रेस में बदलाव की आहट तेज, मजदूर के हाथ में प्रियंका गांधी सौंपेगी कमान

अजय कुमार लल्लू होंगे नये प्रदेश अध्यक्ष, संगठन में नौजवानों को प्राथमिकता

आन्दोलनकारी और नौजवानों को नयी कांग्रेस कमेटी में जिम्मेदारी

जुबिली न्यूज़ डेस्क।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस में बदलाव की ख़बरें लगातार आ रही हैं। सूत्रों कि माने तो प्रियंका गांधी ने नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए एक जमीन से जुड़े और तेजतर्रार नेता को कमान सौंपने का फैसला लिया है। जी हां प्रियंका गांधी जल्द ही यूपी कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में अजय कुमार लल्लू के नाम का ऐलान करने वाली हैं।

कौन हैं अजय कुमार लल्लू ?


साल था 2007, कुशीनगर के आजादनगर कस्बे में एक नौजवान निर्दल उम्मीदवार के तौर पर भाषण दे रहा था। एक जोशीला भाषण। तभी पीछे से एक बुजुर्ग की आवाज़ आई- ई बार त ना, पर अगली बार बेटा विधायक बनबे। चुनाव का परिणाम आया और निर्दल उम्मीदवार कुछ हज़ार वोटों पर सिमट गया। हारा हुआ नौजवान था- अजय कुमार लल्लू। एक स्थानीय कालेज का छात्र संघ अध्यक्ष। जिले के हर मुद्दे पर पुलिस की लाठियां खाने वाला। संघर्ष इतना प्रतिबध्द कि अजय कुमार को कब लोग धरना कुमार कहने लगे किसी को खबर नहीं।

चुनाव के हार के बाद की कहानी

चुनाव हारने के बाद आजीविका चलाने के लिए अजय कुमार लल्लू बतौर मजदूर के तौर पर दिल्ली गए और वहां पर देहाड़ी मजदूर रूप में काम किया। पर लगातार क्षेत्र के लोग फोन करते रहे। अपनी समस्या बताते रहे। कहते रहे कि वापस आओ, कौन लड़ेगा हमारी लड़ाई? और लल्लू फिर से कुशीनगर की सड़को पर लाठियां खाते दिखने लगें, मुसहरों की बस्तियों में उनको एकजूट करने लगे। नदियों की कटान को लेकर धरने पर बैठने लगे और गन्ना किसानों के लिए मीलों के घेराव के आन्दोलन के पहली कतार में।

विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस ने भी अजय कुमार लल्लू पर भरोसा जताया और टिकट दे दिया। एक बुजुर्ग की पांच साल पुरानी भविष्यवाणी सच साबित हुई और एक मजदूर, एक संघर्ष करने वाला नौजवान तमकुहीराज का विधायक बना। 2017 के भाजपा लहर में भी तमकुहीराज की जनता ने फिर से अपने धरना कुमार को चुना।

क्या है प्रियंका गाँधी की रणनीति

उत्तर प्रदेश की कांग्रेस के अध्यक्ष के बतौर अजय कुमार लल्लू का नाम लगभग तय है। सूत्रों की माने तो महासचिव प्रियंका गाँधी की कसौटी पर अजय कुमार लल्लू का नाम खरा उतरा। उनकी कसौटी थी- वह नेता जो उत्तर प्रदेश में रहता हो। लोगों से उसका जीवंत रिश्ता हो। लोगों के संघर्षों का भागीदार हो।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस हाशिये पर खड़े समुदाय पर फोकस कर रही है। अजय कुमार लल्लू खुद कान्दू जाति से आते हैं। उत्तर पदेश की कमेटी भी सामाजिक संतुलन और समावेशी जातीय समीकरणों के आधार पर तैयार हुई है। जिसका असर सडकों पर जनांदोलनों और चुनावी राजनीति में साफ़-साफ़ दिखेगा।

नौजवान और आन्दोलनधर्मी कार्यकर्ता हैं पहली पसंद

नई कांग्रेस कमेटी में नौजवान और लड़ाकू कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता मिली है। जिसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उपचुनाव में कांग्रेस ने सबसे ज्यादा नौजवान उम्मीदवार उतारा है। सूत्रों की माने तो अब यह संगठन में भी दिखने जा रहा है।

मीडिया में चल रहे तमाम नामों पर चर्चा ठप्प

सूत्रों की माने तो उत्तर प्रदेश में कई नाम चल रहे थे लेकिन प्रियंका गाँधी का भरोसा एक ऐसे कार्यकर्ता में है जोकि उत्तर प्रदेश में रहता हो। आन्दोलन धर्मी हो और लोगों के सुख-दुःख का हिस्सेदार हो।

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