न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार में सुलह की खबरें सुर्ख़ियों में हैं। लगातार चुनावों में मिल रही हार से जूझ रही समाजवादी पार्टी (सपा) में नए समीकरण बन रहे हैं। इस बीच सोशल मीडिया में ऐसी भी चर्चा हो रही है कि मुलायम परिवार में सुलह हो सकती है और शिवपाल सिंह यादव सपा में शामिल हो सकते हैं।
हालांकि, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) ने इस बात को निराधार बताया है कि उनके अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव के समाजवादी पार्टी शामिल होने वाले हैं। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करके यह बात कही है।
प्रेस विज्ञप्ति में साफ-साफ कहा गया है कि सोशल मीडिया और कुछ अन्य माध्यमों द्वारा यह खबर फैलाई जा रही है कि आगामी 30 सितम्बर को प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी में शामिल हो सकते हैं। यह सूचना अनर्गल, भ्रामक और झूठी है।
अभी तक उक्त विषय पर दोनों दलों के नेताओं के बीच किसी भी प्रकार का संवाद नहीं हुआ है। यह खबर तथ्यहीन है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि इसके पीछे वही षड्यंत्रकारी हैं, जो समाजवादी पार्टी और परिवार में कलह व विखण्डन के दोषी हैं। प्रसपा (लोहिया) इस खबर का खंडन करती है।
इससे पहले शिवपाल सिंह यादव ने 18 सितंबर 2019 को कहा था कि अगर उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म होती है तो वे जसवंत नगर विधानसभा सीट से दोबारा चुनाव लड़ेंगे।
बताते चले कि उत्तर प्रदेश में 2017 में हुए विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यादव परिवार और समाजवादी पार्टी में मचे घमासान के बाद अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव के बीच सुलह की तमाम कोशिशें नाकाम रहीं, लेकिन उसके बाद पहली बार यह संकेत मिले थे कि दोनों के बीच करीब तीन साल से चली आ रही तनातनी सुलझ सकती है।
इसकी शुरुआत प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने ही की थी। कुछ दिनों पहले उन्होंने मैनपुरी में कहा था कि उनकी तरफ से सुलह की पूरी गुंजाइश है। इसके बाद अखिलेश यादव ने लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि शिवपाल का घर में स्वागत है।
अगर वे आते हैं तो उन्हें पार्टी में आंख बंद कर शामिल करूंगा। ऐसे में दोनों तरफ से आए इन बयानों को यूपी की सियासत और यादव परिवार के लिए अहम माना जा रहा है।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो अखिलेश और शिवपाल के बयान दोनों के बीच जमी बर्फ के पिघलने के संकेत दे रहे हैं। कहा जा रहा है कि सपा नेता रामगोविंद चौधरी द्वारा शिवपाल यादव की सदस्यता रद्द करने की याचिका लगाने के बाद एक बार फिर से सुलह की कोशिश हुई है।
यह भी माना जा रहा है कि अगर बातचीत सही दिशा में आगे बढ़ती है तो अखिलेश, शिवपाल की विधानसभा सदस्यता रद्द करने वाली याचिका भी वापस ले सकते हैं।
बता दें यूपी विधानसभा चुनाव से पहले 2016 में यादव परिवार में महाभारत की शुरुआत हुई थी। बात इतनी बढ़ गई थी की अखिलेश ने समाजवादी पार्टी पर एकाधिकार कर लिया है।
उसके बाद चुनाव में समाजवादी पार्टी की हार के बाद शिवपाल ने बयानबाजी शुरू कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने समाजवादी मोर्चे का गठन किया और फिर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) का गठन कर लिया। इस बीच अखिलेश और शिवपाल के बीच सुलह की कई कोशिशें हुईं, लेकिन सभी नाकाम साबित हुईं।
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