जुबिली पोस्ट ब्यूरो
लखनऊ। देश के प्रधानमंत्री बुलेट ट्रेन का सपना दिखा रहे है, लेकिन जो ट्रेन है पहले वो तो यात्रियों की सुविधाओं पर खरी उतरे। यदि आप ट्रेन से लंबी दूरी की यात्रा के लिए निकल रहे है तो ध्यान दे कि आपकी ट्रेन में पैंट्रीकार है या नहीं। क्योंकि रेलवे की इस लापरवाही में हर दिन सैकड़ो यात्रियों की सेहत बिगड़ रही है।
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आप जम्मू, मुंबई या चेन्नई की यात्रा कर रहे हैं तो बेहतर है कि घर से ही खाना लेकर निकलें। आपको जानकर हैरानी होगी कि लंबी दूरी की 60 ऐसी ट्रेनें हैं, जिनमें पैंट्रीकार नहीं है। इनमें 75 हजार यात्री चाय से खाने तक के लिए वेंडरों पर निर्भर हैं।
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पुष्पक, काशी विश्वनाथ, अमरनाथ एक्सप्रेस, राप्तीसागर, गोरखपुर- एलटीटी, शताब्दी जैसी ट्रेनों में पैंट्रीकार से खाना सप्लाई किया जाता है, लेकिन उत्तर व पूर्वोत्तर रेलवे के चारबाग व लखनऊ जंक्शन सहित अन्य स्टेशनों से रवाना होने वाली लंबी दूरी की करीब 60 ट्रेनों में पैंट्रीकार नहीं है। जिससे यात्रियों को अवैध वेंडरों के सहारे ही रहना पड़ता है, और अपनी सेहत को दांव पर लगाने के लिए विवश होना पड़ता है।
यह स्थिति तब है, जबकि ट्रेनों में पैंट्री की मांग लगातार उठती रही है। रेलवे अधिकारी भले ही दलील देते रहें कि ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा है, पर हकीकत इससे इतर है। लंबी दूरी की ट्रेनों में पानी से लेकर दिन व रात के खाने तक के लिए यात्री अवैध वेंडरों के भरोसे रहते हैं। जिससे आयेदिन यात्रियों की सेहत बिगड़ रही है।
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ट्रेनों में पैंट्रीकार नहीं होने का मामला राज्यसभा में भी उठा चुका है। देश में 342 ऐसी ट्रेनें हैं, जो हजार किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करती हैं और उसमें पैंट्रीकार नहीं हैं।
वहीं रेलमंत्री पीयूष गोयल ने इस पर बताया था कि जिनमें पैंट्रीकार नहीं है, उसमें ट्रेन साइड वेंडिंग, कैटरिंग यूनिटों व ई-कैटरिंग से खाना मुहैया कराया जा रहा है। पर, हकीकत में पैसेंजर अवैध वेंडरों के भरोसे ही सफर करते हैं।
इन ट्रेनों में पैंट्रीकार की मांग
गोरखपुर- पुणे एक्सप्रेस (15029), लखनऊ जंक्शन- पुणे (12104), लखनऊ- पुणे (11408), गोरखपुर- अहमदाबाद (19410), बेगमपुरा (12237), गोरखपुर- पनवेल (15065), गोरखपुर- एलटीटी (11080), लखनऊ- चेन्नई एक्सप्रेस (16094), लखनऊ- यशवंतपुर (12540), हावड़ा- अमृतसर (13049), गोरखपुर- यशवंतपुर (15015), लखनऊ- बांद्रा टर्मिनस (19022), गोरखपुर- बांद्रा (15067), गोरखपुर- एलटीटी (15063) सहित 60 ट्रेनों में पैंट्रीकार नहीं है।
अधूरी रह गई न्यू कैटरिंग पॉलिसी
रेलवे बोर्ड की ओर से पैसेंजरों की सुविधा के लिए न्यू कैटरिंग पॉलिसी लाई गई थी, जिसके तहत खानपान के लिए बेस किचन बनाकर ट्रेनों में सप्लाई की जानी थी। खाना बनाने व उसका वितरण करने की जिम्मेदारी अलग- अलग होनी थी। ट्रेन साइड वेंडिंग भी शुरू होनी थी। पर, यह पॉलिसी पूरी तरह से लागू नहीं की जा सकी, जिससे यात्रियों को राहत नहीं मिल पा रही है।
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ट्रेनों में खानपान की स्थिति बहुत ही बदहाल है। खासकर लंबी दूरी की ट्रेनों में तो अवैध वेंडरों पर ही पूरा दारोमदार रहता है। वे मनमाने रेट पर घटिया खाना बेचते हैं। इससे पैसेंजरों के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है। इसलिए रेलवे को वैकल्पिक व्यवस्थाएं करनी चाहिए।
– एसएस उप्पल, अध्यक्ष, पैसेंजर एसोसिएशन