जुबिली पोस्ट ब्यूरो
आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना को हमेशा से अपनी फ़्लैगशिप स्कीम होने का दावा सरकारे करती रही है। इस महत्वाकांक्षी योजना के एक वर्ष पूरे होने पर आने वाली 23 मार्च को प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में सफलता का जश्न मनाए जाने की तैयारियां भी जोरों पर हैं। लेकिन जश्न की आड़ में इस योजना के भीतर भ्रष्टाचार का दीमक बुरी तरह फैल चुका है।
ताजा मामला आयुष्मान योजना के पात्र लाभार्थियों के प्लास्टिक कार्डों के भुगतान में बडी़ धांधली का है, जिसमे नियम विरुद्ध भुगतान कर दिया गया है।
आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के लाभार्थियों को एक ऐसे प्लास्टिक कार्ड उपलब्ध कराए जाने थे, जिसमें लाभार्थी का पूरा डाटा रहेगा। जुबिली पोस्ट को मिले दस्तावेजों के आधार पर इस मामले में किए गए भुगतान का पूरा मामला संदिग्ध दिखाई दे रहा है।
क्या है मामला ?
आयुष्मान योजना के तहत प्रदेश में 1.18 करोड़ परिवारों को यह कार्ड दिए जाने थे। बाद में 30,00,000 प्लास्टिक कार्ड और बनाए जाने तय किए गए। स्टेट एजेंसी फॉर कंप्रिहेंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (साचीज) ने मेसर्स अलंकृत लिमिटेड नई दिल्ली को पीएमजेएवाई के अंतर्गत प्लास्टिक कार्ड छाप कर जनपद स्तर पर प्राप्त/ वितरित किए जाने हेतु अनुबंधन किया था।
निविदा के आधार पर चयनित फर्म को ₹3.56 पैसे प्रति कार्ड और जीएसटी 18% की दर से मिलाकर 4.20 रुपए प्रति कार्ड की दर पर 3,39,78,763 रुपए का भुगतान करने का अनुबंध किया गया।
क्या थीं भुगतान करने की शर्तें ?
रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल आरएसपी के पैरा 3.2.1.2 एवं 3.2.1.3 के अनुसार प्लास्टिक कार्ड की डिलीवरी में विलंब होने, रि-प्रिन्ट होने अथवा कोई त्रुटि पाए जाने पर पेनाल्टी लगाने की व्यवस्था की गई, साथ ही साचीज को निविदा निरस्त करने का भी अधिकार दिया गया। इसमे अधिकतम 10% (15,00000 रुपए तक) पेनाल्टी का प्रावधान भी किया गया।
आरएसपी के क्लाज नंबर 3.1.9 के अनुसार डिसपैच/रिसीप्ट के प्रूफ जिलाधिकारी कार्यालय से कार्ड की कुल संख्या, पैकेट्स की संख्या और कार्यालय की मुहर सहित लेना अनिवार्य होगा, यद्यपि कि आरएफपी के इस क्लास से इतर जाकर के एग्रीमेंट में डीएम के साथ साथ सीएमओ को भी अधिकृत कर दिया गया।
अनुबंध के अनुसार रनिंग पेमेंट जो एडवांस के रूप में होगा वह किसी भी दशा में 50% से ज्यादा का नहीं होगा और भुगतान, फर्म को कार्ड की डिलीवरी के डिसपैच/रिसीप्ट के प्रूफ (पीओडी) के आधार पर कुल प्राप्त कराई गई संख्या के गुणांक में ही सत्यापन के आधार पर भुगतान किया जाएगा ।
लाभार्थियों के प्लास्टिक कार्डों के बनाने और वितरण करने में हुई हेराफेरी
सूत्रों के अनुसार मेसर्स अलंकृत लिमिटेड ने लाभार्थियों के कार्ड के लिए अधिकृत फार्मेट की जगह अधूरे और त्रुटिपूर्ण कार्ड जनपदों को भेज दिया, जिसके कारण भारी संख्या में प्लास्टिक कार्डों में तमाम कमियां पाई गई ,जिसमे लाभार्थियों की पूरी सूचना ,मोबाइल नंबर,जिले में एरिया का नाम आदि अंकित नहीं थे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जनपद स्तर पर ग्रामीण क्षेत्रों में तो इसे वितरित कर लिया गया लेकिन शहरी क्षेत्रों में त्रुटि पूर्ण प्लास्टिक कार्ड वितरित नहीं किये गये और इसकी शिकायत किये जाने पर आयुष्मान भारत के मुख्यालय के अधिकारियों ने बिना लिखा पढी़ के “मधुर कोरियर” नाम की कूरियर कंपनी को, जनपदों से वापस करने का दबाव बनाया गया।
लेकिन प्राइवेट कोरियर को इन कार्डों को सौंपने से मना करने पर, मुख्य कार्यपालक अधिकारी एबीपीएमजेएवाई लखनऊ ने अपने पत्र संख्या एनएचपीएम/पत्रां-431-ई/2019-20/1075 दिनांक 7 जून 2019 के द्वारा मुख्य चिकित्साअधिकारी आगरा, प्रयागराज, अंबेडकर नगर, औरैया, आजमगढ़, बलरामपुर, बाराबंकी, भदोही, चंदौली, रायबरेली, गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज सहित कई जनपदों को निर्देश दिया कि त्रुटिपूर्ण कार्ड अधिकृत कोरियर मधुर कोरियर को हैंड ओवर कर दें, जिसके बाद ही सीएमओ ने त्रुटिपूर्ण कार्ड मधुर कोरियर को वापस कर दिए लेकिन आज तक प्लास्टिक कार्डों को पुनः जिलों को नहीं वापस भेजा गया।
यहाँ यह भी जांच का विषय है कि जब सरकारी संस्था पोस्टआफिस की स्पीड पोस्ट सेवा सुलभ है तो प्राइवेट कोरियर को किस नियम के तहत अधिकृत किया गया?
प्राइवेट संस्था से सत्यापन और कोरियर की रसीद को आधार मानकर कर दिया भुगतान
टीम लीड केपीएमजी नाम की एक प्राईवेट संस्था के द्वारा कार्ड वितरण एवं लम्बित कार्डों का सत्यापन करा लिया गया, जबकि नियमानुसार यह सत्यापन डीएम या सीएमओ को करना था। इस सत्यापन के अनुसार 69,55,113 कार्ड जनपदों को भेजे गये जबकि फर्म ने 80,88,639 कार्डों का बिल दिया था ।
गलत पाए जाने के कारण रिप्रिन्ट के लिये 12,12,750 कार्ड वापस कर दिए गए थे । प्राप्त जानकारी के अनुसार दिनांक 15.04.2019 को चेक संख्या 9443 से 1,50,00000 रुपये और चेक सं.672079दिनांक 11.07.2019 द्वारा 40,00000 रुपये यानी कुल 1,90,00000 रुपयों का भुगतान किया जा चुका है। ये दोनों भुगतान ऐडवांस /रनिंग पेमेण्ट के रुप में किये गये जो पचास प्रतिशत से अधिक है।
जानकारी के अनुसार किया गया भुगतान, टीम लीड केपीएमजी संस्था द्वारा सत्यापित किए गए कार्डों की संख्या और प्राइवेट कोरियर (मधुर कोरियर) की रसीद (पीओडी) के आधार पर था।
भुगतान का खेल यहीं नहीं रुका, आरएफपी/अनुबंध की शर्तों को न मानते हुए ,फर्म अलंकृत लि.द्वारा प्लास्टिक कार्डों को जनपदों से जनपदवार प्राप्ति की सूचना (कोरियर की रसीदें) को ही फुलप्रूफ सत्यापन का प्रमाण मानकर मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने फर्म को अवशेष में से एक करोड़ रूपये का भुगतान करने का आदेश जारी कर दिया है। यह भुगतान भी ऐडवांस ही होगा। इस प्रकार अब तक कुल 2 करोड़ 90 लाख रुपयों का अग्रिम भुगतान किया जा चुका है ।
इस पूरी प्रक्रिया पर ही सवाल उठ रहे हैं। जब जनपदों को पूरे कार्ड नहीं प्राप्त कराये गये हैं इनकम्पलीट हैं और क्रिटिकल एरर के थे तो भी पेनाल्टी अथवा फर्म को डिबार करने की प्रक्रिया न करके पूरे भुगतान करने की जल्दबाजी, एडवांस के रूप में 50% से भी अधिक का भुगतान करने से कार्य पालक अधिकारी और अन्य उच्चाधिकारियों के फर्म से मिलकर, बिना साक्ष्य के गलत भुगतान करने का संदेह होना लाजमी है ।
सूत्रों का कहना है कि नियम विरुद्ध भुगतान करने का दबाव उच्च अधिकारियों द्वारा बनाया गया , जबकि विभाग के वित्त नियंत्रक ने इस प्रक्रिया पर लगातार टिप्पणियाँ की और सवाल उठाए थे। लेकिन विभाग में मजबूत काकस ने वित्त नियंत्रक की टिप्पणियों को लगातार नजरअंदाज करते हुए, नियम विरुद्ध भुगतान किए।
भुगतान की आपत्तियों में सबसे प्रमुख रूप से इसकी सत्यापन प्रक्रिया पर सवालिया निशान लगाए गए हैं। बिना डीएम या सीएमओ से पीओडी (प्रूफ आफ डिलीवरी) लिये, पेनाल्टी लगाये या ऐडवांस पैसे का समायोजन हुए, फर्म को भुगतान करने और सरकारी संस्था पोस्ट ऑफिस की सेवा न लेकर प्राइवेट कोरियर का इस्तेमाल करके सरकारी राजस्व की क्षति भी पहुचाएं जाने की चर्चा विभाग में जोरों पर है।