सुरेंद्र दुबे
भारत और पाकिस्तान दो ऐसे मुल्क हैं जो हमेशा एक-दूसरे की बुराई करते रहते हैं। एक-दूसरे को धकियाते व लतियाते हैं। पर दोनों अंदर से मिले-मिले हैं। दोनों का एजेण्डा एक ही है। अपने घर में झांकने के बजाए पड़ोसी के घर में झांकना और फिर इतनी झांव-झांव करना कि मोहल्ले भर के लोग समझौता कराने पर उतारू हैं। लोग मध्यस्त बनाना चाहते हैं। तब दोनों मुस्कुरा के कह देते हैं ये हमारा आपसी मामला है। हम दोनों हल कर लेंगे। खबरदार अगर किसी बाहरी ने दलाल बनने की कोशिश की।
भारत और पाकिस्तान दोनों के पास एक ही मुद्दा है और वो है कश्मीर। भारत कहता है हम पाक अधिकृत कश्मीर लेकर रहेंगे और पाकिस्तान कहता है हमें बाकी कश्मीर भी चाहिए। उसका मानना है कि कश्मीर में मुसलमानों पर जुल्म हो रहे हैं। और जब तक पाकिस्तान कश्मीरियों की समस्या को हल नहीं कर लेगा तब तक चैन से नहीं बैठेगा।
अब अगर उससे पूछा जाए कि पाक अधिकृत कश्मीर में वह मुसलमानों पर जुल्म क्यों ढा रहा है तो कह देता है यह हमारा आंतरिक मामला है। पड़ोसी की जमीन पर कब्जा कर आतंक मचाए हैं और कहते हैं हम कश्मीरियों को आजादी दिला कर रहेंगे। यानी एक ही बैट से दोनों क्रिकेट खेल रहे हैं।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान तो क्रिकेटर ही हैं। इसलिए उन्हें बैटिंग करने से कौन रोक सकता है। दनादन बाउंड्री पार चौके-छक्के मार रहे हैं। पर हमारे वाले तो उनसे बड़े क्रिकेटर हैं, कब किधर छक्का मार देंगे कोई नहीं कह सकता है। कभी-कभी तो खुद ही बॉलिंग करने लगते हैं और खुद ही बैटिंग।
उनकी अपनी दर्शक दीर्घा है, जो वाह-वाह और वन्स मोर करने लगती है। इमरान खान इस मामले में थोड़ा कमजोर बैट्समैन हैं। उनके अपने लोग ताली बजाने के साथ ही थप्पड़ भी मारने लगते हैं। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बहुत ही खस्ता हाल है इसलिए इमरान अपनी कश्मीरी बैटिंग से लोगों को बहुत लुभा नहीं पा रहे हैं।
भारत की भी अर्थव्यवस्था खराब होती चली जा रही है। हम आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहे हैं। लोग बेरोजगार हो रहे हैं पर हमारे (पीएम नरेंद्र मोदी) बल्लेबाज ज्यादा हुनरमंद हैं इसलिए नित नई गेंदे हवा में उछालते रहते हैं और दनादन बल्ला घुमाते हैं। दर्शक को पता ही नहीं चलता है कि किस गेंद पर दो रन मिले, किस पर चौका पड़ा और कौन सी गेंद पर छक्का मार दिया गया।
अभी हमने अनुच्छेद 370 नामक बॉल उछाली और दनादन उसकी पिटाई की। खूब रन बने। जब यह गेंद थोड़ा पूरानी पड़ने लग गई तो हमने गाय ब्रांड की गेंद अंपायर से ले ली। ये गेंद हमारे देश में तब से प्रचलित है जब क्रिकेट खेला भी नहीं जाता था। सो इस गेंद से दनादन रन बनाए जा रहे हैं।
अभी कई गेंदे हमारे पास स्टैंड बाई में हैं जैसे राम मंदिर नाम की गेंद। इसकी रगड़ाई-घिसाई चल रही है। कभी-भी खेल के मैदान में उतारी जा सकती है। हमारे पास गेंदों की कोई कमी नहीं है। अभी समान नागरिक संहिता जैसी मजबूत गेंद हमारी जेब में है। जब चाहेंगे इसे निकालेंगे और दनादन चौके-छक्के मारेंगे।
हमारे यहां जो क्रिकेट खेला जा रहा है। उसमें बैट्समैन, गेंदबाज, विकेटकीपर और अंपयार एक ही है। इसलिए क्रिकेट के मैदान में कहीं कोई दिक्कत नहीं है। अगर कोई दर्शक किसी गेंद पर फाउल बताने की कोशिश करता है तो हम लुहू-लुहू कर देतें हैं। लोग खीसें निकाल कर चुप हो जाते हैं। जो आंख दिखाने की कोशिश करते हैं उन्हें हम सीबीआई व ईडी नाम के थर्ड अंपायरों से लतियाने के लिए कह देतें हैं।
पर इमरान खान को ये सब सहूलियतें हासिल नहीं हैं उनके अपने लोग ही उनकी निंदा कर रहे हैं। उनका कोई आभा-मंडल नहीं है और उनकी कोई शाखा भी नहीं है इसलिए बेचारे अकेले बैटिंग करते हैं। पर बैट हमारे और उनके बीच एक ही है। कभी हम कश्मीर की गेंद पर छक्का मार देते हैं तो कभी पाकिस्तान।
हाल दोनों का बुरा है। ये तो भला हो हमारे बड़का टीवी का कि हम सुबह से शाम तक उस पर युद्ध लड़कर जनता को भड़काते रहते हैं। वर्ना समस्याओं से जुझ रही जनता हमको कब तक बर्दाश्त करेगी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)
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