जुबिली न्यूज़ डेस्क।
भ्रष्टाचार एक ऐसी गंभीर समस्या है, जोकि देश को दीमक की तरह खोखला कर रही है। इस गंभीर बीमारी का इलाज इसलिए नहीं हो पाता क्योंकि जब भी बमुश्किल कोई मामला सामने आता है तो छोटी मछलियों का शिकार तो कर लिया जाता है, मगर बड़ी मछलियों को नजरअंदाज कर दिया जाता है।
ऐसा ही कुछ चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशालय में हुए भ्रष्टाचार के मामले में भी हुआ। पैरामेडिकल संवर्ग स्थानांतरण जांच में निदेशालय के बाबू तो नपे, लेकिन बड़े अधिकारियों के नाम का खुलासा नहीं हो सका।
बता दें कि महानिदेशालय में स्थानांतरण सत्र 2,019-20 में पैरामेडिकल संवर्ग के स्थानांतरण में भ्रष्टाचार की गंभीर शिकायतें मिली थीं। पैरामेडिकल संवर्ग के कई कर्मी बिना मापदंड के दूरस्थ स्थानों के लिए ट्रांसफर कर दिए गए थे और कई सेटिंग करके कई सालों से एक जनपद में जमे हुए थे उनका स्थानांतरण नहीं किया गया। यह भी देखा गया कि कई ट्रांसफर ऐसे कर दिए गए थे जिन कर्मचारियों की मृत्यु तक हो चुकी थी या फिर वह रिटायर हो गये थे।
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जब यह मामला काफी उछला और कर्मचारी नेताओं ने इसका विरोध किया तब कहीं जाकर शासन ने इस पर संज्ञान लिया और शासनादेश संख्या 11/ 2018 /772 / पांच-7- 2018 दिनांक 27.06 .2018 एवं शासनादेश संख्या 502/ पांच-7- 2019 दिनांक 14 .06.2019 में किए गए प्रावधानों की अवहेलना और गंभीर भ्रष्टाचार किए जाने की शिकायत के संदर्भ में दिनांक 2.07. 2019 को रमेश कुमार त्रिपाठी, विशेष सचिव की अध्यक्षता में त्रिस्तरीय जांच कमेटी की गठन किया गया।
इस कमेटी की जांच आख्या के आधार पर शासन के आदेश संख्या u.o.1 67-पांच-4 -2019 दिनांक 11 सितंबर 2019 के द्वारा अन्य के साथ महानिदेशालय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के 4 डी 2 सेक्सन के कर्मचारियों के विरूद्ध कर दी गयी। 4 डी 2 सेक्सन के प्रशासनिक अधिकारी अनिल कुमार श्रीवास्तव, प्रधान सहायक देवारी लाल एवं पारसनाथ सिंह यादव को निलंबित कर दिया गया।
इसके अलावा 4 डी सेक्शन 2 में तैनात कनिष्ठ सहायकों श्रीमती नीलम यादव, कौसर फातिमा, तरुण यादव और रोहित मौर्य से स्पष्टीकरण लेने के बाद कार्यवाही किए जाने की बात कही गई। सूत्रों के अनुसार पैरामेडिकल संवर्ग के इस स्थानांतरण में अपर निदेशक, निदेशक पैरामेडिकल का विशेष रोल होता है और उन्हीं के निर्देश के बाद स्थानांतरण किए जाते हैं।
स्थानांतरण पत्रावली पर महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के अनुमोदन के बाद ही पैरा मेडिकल कर्मियों के ट्रांसफर का आदेश किया जाता है परंतु लिपिकों के विरुद्ध कार्रवाई के आदेश के साथ बड़े अफसरों के नाम का उल्लेख न होना यह दर्शाता है कि उन अफसरों को बचाने का खेल किया जा रहा है।
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महानिदेशालय में तैनात एक कर्मचारी ने नाम न बताने की शर्त पर जानकारी दी कि पैरा मेडिकल कर्मियों के इस ट्रांसफर प्रक्रिया में डा.एम.के.गुप्ता डायरेक्टर पैरामेडिकल, ज्वाइंट डायरेक्टर डा.आर.के.गुप्ता, डा.संजीव कुमार शामिल थे और प्रस्ताव का अनुमोदन किया था डा.पद्माकर सिंह महानिदेशक ने। पहले से ही इस बात की शंका बतायी जा रही थी कि हर बार की तरह इस बार भी बाबुओं के विरुद्ध कार्रवाई हो जाएगी लेकिन बड़े अफसर इससे बचे रहेंगे।
शासन के आदेश में बडे़ अफसरों के नाम न देकर अन्य का उल्लेख किया गया जो संशय की पुष्टि करता है। अफसरों के विरुद्ध कार्यवाही का खुलासा न होने से कर्मचारियों में खासी नाराजगी देखी गयी। स्थानांतरण में होना यह चाहिए कि जनपद में तैनात पैरामेडिकल कर्मियों या अन्य कर्मियों से ऑनलाइन च्वाइस की एप्लीकेशन लेकर तब स्थानांतरण किए जाएं जिससे पारदर्शिता बनी रहेगी।
अब देखना होगा कि स्वास्थ्य महानिदेशालय के कौन-कौन से अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाती है या फिर केवल बाबुओं की बलि लेकर शासन अधिकारियों को दोषी न ठहराकर इस मामले को निपटा देगा ताकि अगले सत्र में अधिकारी फिर बेखौफ होकर स्थानांतरण का खेल जारी रख सकें।
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